जम्मू और कश्मीर में परिसीमन
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने निम्नलिखित दलीलें प्रस्तुत की थी:
- परिसीमन संबंधी कार्य करने का अधिकार केवल भारत के निर्वाचन आयोग को है।
- संविधान का अनुच्छेद – 170, वर्ष 2026 के बाद पहली जनगणना तक परिसीमन के कार्य पर रोक लगाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनौतियों को खारिज करते हुए कहा कि–
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 ने परिसीमन अधिनियम, 2002 के तहत परिसीमन आयोग को निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन (Readjustment) का कार्य सौंपा है।
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अंतर्गत दो नए संघ शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख का गठन किया गया है।
- संविधान का अनुच्छेद 4 संसद को नए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गठन के लिए अनुच्छेद- 3 के अनुसार ऐसे प्रावधानों को शामिल करने की अनुमति प्रदान करता है ।
परिसीमन–
- परिसीमन, किसी देश या विधायी निकाय वाले किसी राज्य में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को तय करने या परिभाषित करने की एक प्रक्रिया है ।
- अनुच्छेद – 82 के तहत संसद प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन अधिनियम बनाती है और इसी अनुरूप परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है।
- अनुच्छेद- 170 के तहत राज्यों को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
- परिसीमन का उद्देश्य समान जनसंख्या समूह के लिए समान प्रतिनिधित्व और भौगोलिक क्षेत्रों का उचित विभाजन प्रदान करना है।इस तरह किसी भी राजनीतिक दल को अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोका जाता है।
- अब तक 4 बार (1952, 1963, 1973 और 2002 ) परिसीमन आयोग का गठन किया जा चुका है।
- परिसीमन आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। इसके आदेशों का कानूनी प्रभाव होता है। परिसीमन आयोग के आदेशों को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन संबंधी कार्य
- वर्ष 2019 से पहले, जम्मू-कश्मीर के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन भारत के संविधान द्वारा शासित होता था। इसके विपरीत, विधान सभा क्षेत्रों का परिसीमन राज्य सरकार के प्राधिकार में था ।
- वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने के बाद, विधान सभा और संसदीय, दोनों प्रकार के निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन भारत के संविधान द्वारा शासित होता है।
स्रोत – द हिन्दू