जम्मू–कश्मीर परिसीमन आयोग
हाल ही में जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं,परिसीमन के आदेश पर हस्ताक्षर के साथ ही जम्मू एवं कश्मीर परिसीमन का कार्य संपन्न हुआ।
- इस परिसीमन आयोग का गठन केंद्र द्वारा 6 मार्च 2020 में किया गया था। इसे जम्मू और कश्मीर में संसदीय एवं विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने का कार्य सौंपा गया था।
- उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई आयोग की अध्यक्ष हैं।
- आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 24 सीटें हैं, जो रिक्त रहती हैं।
- परिसीमन जनसंख्या में परिवर्तन को दर्शाने के लिए लोक सभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण का कार्य है।
- इसका उद्देश्य समान जनसंख्या समूह के लिए समान प्रतिनिधित्व और भौगोलिक क्षेत्रों का उचित विभाजन प्रदान करना है। इस तरह किसी भी राजनीतिक दल को अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोका जाता है।
- संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत, संसद प्रत्येक जनगणना के बाद एक परिसीमन अधिनियम बनाती है। इसी अधिनियम के तरह परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है।
- भारत में वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था।
- वर्ष 2002 में, 84वें संविधान संशोधन द्वारा लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के परिसीमन की प्रक्रिया को कम से कम वर्ष 2026 तक रोक दिया गया था।
- संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत, राज्यों को भी प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन अधिनियम के अनुसार प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
- परिसीमन आयोग भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। यह भारत के चुनाव आयोग के सहयोग से कार्य करता है।
- इसके आदेशों को कानूनी शक्ति प्राप्त है। इसके आदेशों को किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है।
स्रोत –द हिन्दू