जमानत अधिनियम (Bail Act) की प्रकृति में एक विशेष अधिनियम पेश करने की सिफारिश

जमानत अधिनियम(Bail Act)की प्रकृति में एक विशेष अधिनियम पेश करने की सिफारिश

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने जमानत देने के लिए नियमों को लागू करने में कमियों को उजागर किया है। साथ ही, न्यायालय ने केंद्र को जमानत प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए एक अलग अधिनियम पारित करने का सुझाव दिया है।

जमानत:

  • ‘जमानत’ (Bail) एक प्रतिवादी की सशर्त रिहाई होती है, जिसमें प्रतिवादी द्वारा आवश्यकता पड़ने पर अदालत में पेश होने का वादा किया जाता है।
  • दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C) की धारा-41 और धारा-41A किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी से संबंधित हैं।
  • न्यायालय ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में राज्यों से कहा था कि वे पुलिस को निर्देश दें कि वे छोटे अपराधों में तत्काल उच्चतम न्यायालय ने जमानत के गिरफ्तारी न करें। इसकी बजाय वे उपर्युक्त धाराओं में निर्धारित जांच प्रक्रियाओं का पालन करें।
  • “जेल नहीं, जमानत” (Bail and not Jail) सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाया गया एक मूल नियम है।
  • जमानत, एक अधिकार है, कोई अहसान नहीं: सीआरपीसी की धारा-436 के अनुसार, यदि आरोपित अपराध जमानती है, तो आरोपी अधिकार के मामले में जमानत का हकदार है।
  • न्यायालय ने गिरफ्तारी के लिए उचित प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं। इनमें जमानत याचिकाओं के निपटान के लिए समय सीमा निर्धारित करने के निर्देश भी शामिल हैं।

स्रोत द हिन्दू

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