जनजातीय महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं रिपोर्ट
हाल ही में महिला सशक्तीकरण पर संसदीय समिति ने ‘जनजातीय महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं’ रिपोर्ट पेश की है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 (2019-2020) के आंकड़ों के अनुसार जनजातीय महिलाएं कुपोषण, उच्च शिशु मृत्यु दर ( 41.6%) तथा मलेरिया, तपेदिक (टीबी) जैसे संचारी रोगों से पीड़ित हैं।
समिति द्वारा किए गए मुख्य पर्यवेक्षण
- मातृ मृत्यु दर (MMR) जैसी जनजातीय स्वास्थ्य स्थितियों पर एक अलग डेटाबेस का अभाव है।
- MMR एक निश्चित अवधि में प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु की संख्या है।
- प्रभावी उपचार के अभाव के कारण जनजातीय समुदायों में सिकल सेल रोग (SCD) का प्रसार अधिक है।
- जनजातीय महिलाओं का कम आयु में विवाह होने से जल्दी गर्भधारण और अन्य आम स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।
- प्रसवपूर्व एवं प्रसव उपरांत देखभाल सुविधाओं की कमी है।
सिफारिशें:
- जनजातीय कार्य मंत्रालय को जनजातियों के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य डेटा तैयार करने हेतु केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के साथ सहयोग करना चाहिए।
- साथ ही इस डेटा में लड़कियों, विविध आयु समूहों की महिलाओं आदि के लिए अलग-अलग वर्गीकरण किए जाने चाहिए ।
- स्वास्थ्य पोर्टल को पोषण ट्रैकर जैसे अलग-अलग सरकारी डेटाबेस से जोड़ा जाना चाहिए ।
- SCD के इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए। साथ ही अस्पतालों में इसकी विशेष शाखा स्थापित की जानी चाहिए ।
- जनजातीय बालिकाओं की स्कूल में शिक्षा जारी रखने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।
- इसके अलावा ‘स्कूल न जाने वाली’ (आउट ऑफ स्कूल) बालिकाओं के लिए वैकल्पिक शिक्षण कार्यक्रम विकसित किया जाना चाहिए ।
अन्य संबंधित तथ्य:
- रेल मंत्रालय ने जनजातीय गौरव कॉरिडोर लॉन्च किया है । यह जनजातीय बहुल क्षेत्रों में रेल अवसंरचना को मजबूत करने और रेल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर लक्षित है।
- यह पहल आर्थिक व्यवहार्यता, जनजातीय व सुदूर क्षेत्रों तक संपर्क बढ़ाने, वैकल्पिक मार्ग और सामाजिक-आर्थिक कारकों को ध्यान में रखकर शुरू की गई है।
स्रोत – द हिन्दू