प्रश्न – ब्रिटिश काल में होने वाले जनजातीय आंदोलनों के कारणों की विवेचना कीजिए।

प्रश्न – ब्रिटिश काल में होने वाले जनजातीय आंदोलन के कारणों की विवेचना कीजिए। – 2 August 2021

उत्तर – 

जनजातीय आंदोलन स्थानीय मुद्दों पर, स्थानीय नेतृत्व तथा सामान्य लोगों द्वारा किये गए थे। ये जनजातीय आंदोलन मुख्य रूप से हिंसक थे। ये आन्दोलन कभी- कभी ब्रिटिशों के खिलाफ और कभी-कभी गैर ब्रिटिशों जैसे कि उधारदाताओ, वन ठेकेदारों आदि के खिलाफ किए जाते थे।

जनजातीय आंदोलनों के कारण:

  • वन कानून: ब्रिटिश सरकार द्वारा ऐसे वन कानूनों को लागू किया गया जो आदिवासियों को संरक्षित क्षेत्रों में रहने से रोकते थे। ये वन कानून वनों से प्राप्त उत्पादों के उपयोग पर भी प्रतिबन्ध लगाते थे।ब्रिटिश सरकारने भारतीय वनों के समृद्ध संसाधनों को नियंत्रित करने के लिए 1864 में एक वन विभाग की स्थापना की । सरकारी वन अधिनियम,1865 और भारतीय वन अधिनियम,1868 ने वन भूमि पर पूर्ण सरकारी एकाधिकार स्थापित कर दिया।
  • भू-राजस्व व्यवस्था: ब्रिटिश सरकार द्वारा कठोर भू-राजस्व व्यवस्था लागू की गई।इस के अतिरिक्त गैर-आदिवासियों द्वारा आदिवासी क्षेत्र में या वन क्षेत्रमे कृषि के विस्तारसेआदिवासियों के संयुक्त स्वामित्व की परंपराओं को गहरा आघात किया और आदिवासी समाज के समतावादी ढांचे में सामाजिक-आर्थिक भेदभाव को बढ़ादिया।
  • शोषण: वन ठेकेदारों तथा वाह्य लोगों द्वारा आदिवासियों से बेगार करवाना तथा आदिवासी क्षेत्रों में कब्ज़ा करना।
  • धार्मिक सुधार: आदिवासी समुदाय में जबरन धर्म सुधार एवं धर्म परिवर्तन।ईसाई मिशनरियों के कार्य ने आदिवासियों के सामाजिक आर्थिक औरसांस्कृतिकसमीकरणमे बदलाव लाए,इन्होने लोगों कोसरकार के खिलाफ हथियार उठाने के लिए हतोत्साहित किया।इस कारण मिशनरियों कोउपनिवेशवादके विस्तार के रूप में देखा गया।

निष्कर्ष:

अधिकतर जनजातीय आन्दोलनों का प्रभावक्षेत्र सीमित था,परन्तु इन आंदोलनों ने भविष्य के राष्ट्रीय आन्दोलन की आधारशिला रखी।

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