जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा (Jagannath Puri Rath Yatra)
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा (Jagannath Puri Rath Yatra)
हाल ही में 12 जुलाई, 2021 से 20 जुलाई, 2021 तक ओडिशा में जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया गया है।
जगन्नाथ रथ यात्रा:
- यह रथ यात्रा एक हिंदू त्योहार है इसका संबंध भगवान जगन्नाथ से है, तथा इस रथयात्रा का आयोजन पुरी, ओडिशा में किया जाता है।
- इस रथ यात्रा की प्रारंभ आषाढ़ मास (पारंपरिक उड़िया कैलेंडर के अनुसार तीसरा महीना) के शुक्त पक्ष की द्वितीया तिथि को होती है।
- यह नौ दिन तक चलने वाला कार्यक्रम है। इसमें भगवान कृष्ण की अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ पुरी के सारदा बाली के निकट मौसी माँ मंदिर से होते हुए गुंडिचा मंदिर में वापसी का प्रतीक है।
- इस उत्सव में भगवान जगन्नाथ, एवं उनके भाई बलराम (बलभद्र) और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को ले जाने वाले 3 पवित्र रथों को भारत के साथ-साथ विदेशों से आने हज़ारों भक्तों के द्वारा खींचा जाता है।
जगन्नाथ मंदिर:
- इस मंदिर का निर्माण बारहवीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश (Eastern Ganga Dynasty) के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ के नाम से भी जाना जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के तहत , पुरी में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो गई है।
- इस मंदिर को “श्वेत पैगोडा” कहा जाता था और यह चारधाम तीर्थयात्रा (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक भाग है।
- मंदिर के 4 (पूर्व में ‘सिंह द्वार’, दक्षिण में ‘अश्व द्वार’, पश्चिम में ‘व्याघरा द्वार’ और उत्तर में ‘हस्ति द्वार’) मुख्य द्वार हैं। प्रत्येक द्वार पर नक्काशी की गई है।
- इसके प्रवेश द्वार के सामने अरुण स्तंभ या सूर्य स्तंभ अवस्थित है, जो मूल रूप से कोणार्क के सूर्य मंदिर में स्थापित था।
ओडिशा के अन्य महत्त्वपूर्ण स्मारक:
- कोणार्क सूर्य मंदिर (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
- लिंगराज मंदिर
- तारा तारिणी मंदिर
- उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएँ
स्रोत: द हिन्दू
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