छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ समारोहों का आयोजन
हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में समारोहों का आयोजन आरंभ हुआ है।
छत्रपति शिवाजी महाराज के शिवराज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में समारोह का आयोजन शुरू हुआ।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 6 जून, 1674 को रायगढ़ किले में हुआ था । उसी जगह पर उन्होंने “हिंदवी स्वराज’ या हिंदू लोगों के स्वशासन की नींव रखी थी। इस अवसर पर उन्होंने ‘छत्रपति’ की उपाधि भी धारण की थी ।
रायगढ़ किला एक पहाड़ी किला है। यह रायगढ़ जिले में महाड से लगभग 25 कि.मी. दूर स्थित है। आरंभिक यूरोपीय लोगों ने इसे ‘पूर्व का जिब्राल्टर’ की संज्ञा दी थी। इस किले के मुख्य वास्तुकार हिरोजी इंदुल्का थे ।
इस किले से एक कृत्रिम झील दिखाई देती है। इसे ‘गंगा सागर झील के नाम से जाना जाता है। किले तक जाने वाला एकमात्र मुख्य मार्ग “महा – दरवाजा ” (विशाल द्वार ) से होकर गुजरता है।
रायगढ़ किले का प्राचीन नाम रायरी था। 12वीं शताब्दी में इस किले पर मराठा शिर्के राजवंश का अधिकार था ।
रायगढ़ किले का महत्त्व
इस किले ने शिवाजी को आदिलशाही वंश के वर्चस्व को चुनौती देने में मदद की थी। साथ ही, इसने कोंकण की ओर अपनी शक्ति का विस्तार करने के लिए उन्हें मार्ग प्रदान किया था ।
यह स्थान शिवाजी के शासन के केंद्र के रूप में उभरा था ।
वर्ष 1680 में रायगढ़ के किले में शिवाजी का निधन हो गया था और किले में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
अन्य किले और उनका महत्त्व
मुरुद – जंजीरा किला: यह किला अरब सागर तट पर स्थित है। इसे भारत के सबसे मजबूत समुद्री किलों में से एक माना जाता है ।
इस किले का विशेष आकर्षण 3 विशालकाय तोपे हैं, जिनके नाम हैं- कलालबंगडी, चावरी और लंदा कसम ।
कोलाबा दुर्ग: यह किला मराठा साम्राज्य के प्रमुख नौसैनिक केंद्रों में से एक था।
प्रतापगढ़ किला : यह किला शिवाजी और अफजल खान के बीच मुठभेड़ के लिए प्रसिद्ध है ।
सिंधुदुर्ग किला: इसे भारत के सबसे बेहतरीन समुद्री किलों में से एक के रूप में जाना जाता है । इसे शिवाजी के शासनकाल के दौरान कोंकण क्षेत्र के एक द्वीप पर बनाया गया था ।
शिवनेरी किला: यह किला शिवाजी का जन्म स्थान है। उन्होंने कभी भी इस किले पर शासन नहीं किया।
पुरंदर किला: यह किला शिवाजी के पुत्र संभाजी का जन्म स्थान है । आदिलशाही वंश एवं मुगलों पर शिवाजी की जीत में इस किले की भूमिका के कारण इसे एक महत्वपूर्ण किला माना जाता है।
तोरणा किला :16 साल की उम्र में शिवाजी महाराज द्वारा कब्जा किया गया यह पहला किला है ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस