चोल युग की छह मूर्तियों को लाया जायेगा वापस

चोल युग की छह मूर्ति को लाया जायेगा वापस

हाल ही में चोल युग की छह मूर्तियों को वापस लाने के लिए आइडल विंग ने अमेरिकी अधिकारियों को दस्तावेज सौंप दिए हैं ।

  • ये मूर्तियां कल्लाकुरिची जिले के वीरचोलपुरम के नरेश्वर सिवन मंदिर की हैं। इस मंदिर का निर्माण चोल राजवंश के शासक राजेंद्र चोल प्रथम ने करवाया था।
  • चोरी की गई छह मूर्तियों में त्रिपुरंतकम, त्रिपुरसुंदरी, नटराज, दक्षिणामूर्ति वीणाधारा, संत सुंदरार तथा उनकी पत्नी परवई नचियार की प्राचीन पंचलौह मूर्तियां शामिल हैं।
  • पंचलौह की मूर्तियां शिल्प शास्त्रों द्वारा निर्धारित पारंपरिक पांच धातुओं की मिश्र धातुएं हैं।
  • इनका निर्माण लुप्त मोम की ढलाई तकनीक का उपयोग करके किया गया था।
  • पुरावशेष तथा बहमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 बिना लाइसेंस के ऐसी कलाकृतियों के निर्यात को एक आपराधिक कृत्य मानता है।
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आपराधिक मामलों पर पारस्परिक कानूनी सहायता संधि ऐसे मामलों पर पारस्परिक सहायता की अनुमति प्रदान करती है।

राजेंद्र चोल प्रथम (1014-44 ई.) के बारे में

  • राजेंद्र चोल प्रथम, राजराज चोल (985-1014 ई.) का पुत्र था। उसने गंगईकोंड चोल की उपाधि धारण की थी।
  • उसने चोल साम्राज्य का प्रभाव गंगा के तट से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों तक विस्तारित किया।
  • उसने कला, धर्म और साहित्य में अमूल्य योगदान दिया था। पाल राजा महिपाल पर विजय के बाद उसने गंगईकोंडाचोलपुरम मंदिर का निर्माण करवाया था।
  • प्रारंभिक चोल मंदिर पल्लव स्थापत्य कला से प्रभावित थे, जबकि बाद के मंदिर चालुक्य स्थापत्य कला से प्रभावित थे। विमान, गर्भगृह, मंडप, गोपुरम आदि चोल कला की विशेषताएं थीं।
  • उसने परकेसरी और युद्धमल्ल की उपाधि धारण की थी।

स्रोत –द हिन्दू

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