निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दल के नाम और चुनाव चिह्न पर निर्णय
हाल ही में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने राजनीतिक दल के नाम और चुनाव चिह्न पर निर्णय लिया है।
- संविधान के अनुच्छेद – 324 के साथ निर्वाचन प्रतीक ( आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता देने तथा चुनाव चिह्न आवंटित करने का अधिकार देता है।
- इस आदेश की धारा – 15 के तहत, निर्वाचन आयोग किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के प्रतिद्वंद्वी समूहों या वर्गों के बीच इस दल के नाम और चिह्न के दावे को लेकर होने वाले विवाद का फैसला कर सकता है ।
- सादिक अली मामले (1971) में सुप्रीम कोर्ट ने विवाद या विलय के मुद्दों पर निर्णय लेने के निर्वाचन आयोग के अधिकार को बरकरार रखा था ।
शीर्ष न्यायालय ने ऐसे निर्णय पर पहुंचने के लिए 3 परीक्षण निर्धारित किए थे:
- राजनीतिक दल के संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण,
- राजनीतिक दल के संविधान का परीक्षण और
- बहुमत का परीक्षण ।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा – 29A और निर्वाचन प्रतीक आदेश, 1968 के अनुसार, निर्वाचन आयोग किसी राजनीतिक दल को मान्यता देता है और उसे चुनाव चिह्न आवंटित करता है।
- मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल: दल इन्हें आवंटित चुनाव चिह्न का उपयोग पूरे देश में सभी चुनावों में कर सकते हैं। कोई अन्य दल उस चिह्न का उपयोग नहीं कर सकता है।
- राज्य स्तरीय दल: ये दल इन्हें आवंटित चुनाव चिह्न का उपयोग संबंधित राज्य के भीतर ही कर सकते हैं।
- निर्दलीय उम्मीदवार: वे अपनी वरीयता के क्रम में उन 3 चुनाव चिह्नों का चयन कर सकते हैं। ये राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के चिह्नों से भिन्न होते हैं। निर्वाचन आयोग इन तीनों में से कोई एक चिह्न आवंटित कर देता है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस