चुनाव आयोग ने 111 पंजीकृत गैर–मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाया
भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से 111 ‘अस्तित्वहीन’ दलों को हटा दिया है।
इन 111 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPS) का कोई अस्तित्व नहीं था। इन्हें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का उल्लंघन करते हुए भी पाया गया था।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग के पास किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण समाप्त करने की शक्ति नहीं है। इस संबंध में चुनाव सुधार का प्रस्ताव अब भी सरकार के पास लंबित है।
हालांकि, यह राजनीतिक दलों की वित्तीय अनियमितताओं के मुद्दे को उठा सकता है। साथ ही, यह राजनीतिक दलों से निम्नलिखित नियमों का अनिवार्य रूप से अनुपालन करने की मांग कर सकता है:
- चंदा प्राप्ति के स्रोत और इसके तरीके,
- कंपनियों द्वारा डिस्क्लोजर,
- बैंक खातों का विवरण आदि।
चुनाव आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A और 29C के तहत कई पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। ये दल अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा किए बिना कर छूट का दावा कर रहे थे।
पंजीकृत गैर–मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) से संबद्ध चिंताएं–
- इनमें से बहुत से दल केवल कागज पर ही मौजूद पाए गए या उनके पते पर भेजे गए पत्र वापस लौटा दिए गए।
- कुछ लोगों ने पंजीकृत दलों को दिए गए चंदे पर आयकर छूट का दुरुपयोग किया।
- कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल “गंभीर वित्तीय अनौचित्य” कार्यों में संलग्न पाए गए। संभव है कि ऐसे कुछ दल चंदा एकत्र कर रहे हों और इनका उपयोग किसी अन्य उद्देश्यों के लिए कर रहे हों। उदाहरण के लिए इनमें से कुछ शेल कंपनियों के रूप में कार्य कर रहे हों और मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे हों।
- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्स (ADR) के अनुसार, वर्ष 2019-20 के लिए केवल 23 प्रतिशत पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक रूप में उपलब्ध है। वहीं 5.72 प्रतिशत पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की वार्षिक अंशदान रिपोर्ट सार्वजनिक रूप में उपलब्ध है।
स्रोत –द हिन्दू