चुनावी बॉण्ड योजना के 5 साल पूर्ण

चुनावी बॉण्ड योजना के 5 साल पूर्ण

हाल ही में चुनावी बॉण्ड योजना के 5 साल पूरे हो चुके हैं। विदित हो कि चुनावी बॉण्ड की अवधारणा केंद्रीय बजट 2017-18 में पेश की गई थी।

  • इलेक्टोरल बॉण्ड एक वचन -पत्र ( Promissory Note) के रूप में एक वाहक साधन है। यह ब्याज मुक्त बैंकिंग लिखत ( instrument) भी है।
  • भारत का नागरिक या भारत में निगमित निकाय बॉण्ड खरीदने के लिए पात्र हैं।
  • चुनावी बॉण्ड, भारतीय स्टेट बैंक की निर्धारित शाखाओं से 1,000, 10,000, 1,00,000, 10,00,000 और 1,00,00,000 के गुणकों में किसी भी मूल्य वर्ग के लिए जारी किए जा सकते हैं या खरीदे जा सकते हैं।
  • मार्च 2018 से नवंबर 2022 के बीच 64.74 प्रतिशत चुनावी बॉण्ड भुनाए (redeemed ) जा चुके हैं।
  • चुनावी बॉण्ड के माध्यम से चंदा प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों को 15 दिनों के भीतर इन्हें भुनाना आवश्यक है।
  • ऐसा नहीं करने पर चुनावी बॉण्ड को अधिकृत बैंक प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) में जमा कर देता है।

चुनावी बॉण्ड के माध्यम से चंदा प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दलों की पात्रता:

राजनीतिक दलों को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा – 29A के तहत पंजीकृत होना चाहिए। साथ ही, ऐसे दलों को पिछले आम चुनाव (लोक सभा या विधान सभा) में कम-से-कम एक प्रतिशत मत प्राप्त हुए हों ।

चुनावी बॉण्ड का महत्त्वः

  • राजनीतिक चंदे में नकदी के उपयोग को सीमित करता है,
  • फर्जी राजनीतिक दलों के गठन को समाप्त करता है,
  • चंदा देने वाले को राजनीतिक उत्पीड़न से बचाता है,
  • काले धन पर अंकुश लगाता है आदि ।

चुनावी बॉण्ड से जुड़ी हुई चिंताएं :

  • चुनावी बॉण्ड को सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि चुनावी बॉण्ड में भुगतानकर्ता का नाम नहीं होता है। साथ ही, यह गुमनामी नैतिक वित्त पोषण पर प्रभाव डालती है।
  • इसके अतिरिक्त, किसी कंपनी द्वारा चुनावी बॉण्ड के माध्यम से राजनीतिक दल को चंदा देने की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course