चीन – ताइवान ने अपने सैन्य अभ्यास समाप्त किए
हाल ही में चीन ने ताइवान पर हमले की नकल वाले युद्धाभ्यासों के बाद अपने सैन्य अभ्यास समाप्त किए हैं।
चीन और ताइवान के बीच संबंध विवादास्पद रहे हैं। इसकी जड़ें चीनी गृहयुद्ध के बाद की परिस्थितियों में खोजी जा सकती हैं। यह गृहयुद्ध 1949 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) से राष्ट्रवादी सरकार की हार के साथ समाप्त हुआ था ।
च्यांग काई-शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी सरकार ताइवान निर्वासित हो गई थी और वहां उसने चीन गणराज्य (ROC) की स्थापना की थी ।
CPC ने चीन की मुख्य भूमि पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की स्थापना की थी ।
ताइवान की सरकार ताइवान के एक स्वतंत्र देश होने का दावा करती है। हालांकि, चीन मानता है कि यह उसका ही एक प्रांत है, जो एक दिन वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन की मुख्य भूमि में शामिल हो जाएगा।
भारत का रुख “वन चाइना पॉलिसी” को मान्यता देने का रहा है, लेकिन 2010 से भारत अपने आधिकारिक बयानों और दस्तावेजों में वन चाइना पॉलिसी का उल्लेख नहीं करता है ।
चीन – ताइवान विवाद का भारत पर प्रभाव
- आर्थिक: ताइवान दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक उन्नत सेमीकंडक्टर्स का विनिर्माण करता है । अप्रैल-फरवरी 2022-23 के दौरान, भारत के दूरसंचार उपकरणों के आयात में ताइवान की हिस्सेदारी 9% थी। एक साल पहले की समान अवधि में यह केवल 2.3 प्रतिशत ही थी ।
- रणनीतिक: दक्षिण चीन सागर (SCS) के माध्यम से भारत का व्यापार बाधित हो जाएगा। यह हिन्द – प्रशांत क्षेत्र में होने वाले कुल भारतीय व्यापार का लगभग 55 प्रतिशत है।
स्रोत – इंडिया टूडे