चीन ने निर्मित किया एक नया सामरिक राजमार्ग
चीन ने हाल ही में अपने सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण राजमार्ग के निर्माण कार्य को पूरा कर लिया है। यह राजमार्ग चीन को भारत के अरुणाचल प्रदेश की विवादित सीमा से लेकर दूरदराज़ के क्षेत्रों में पहुच को और अधिक मज़बूत बनाएगा ।
वर्ष 2014 में शुरू किया गया यह राजमार्ग, तिब्बत के सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक बुनियादी ढांचे को आगे ले जाने वाला एक भाग है ,जो ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलंग झांग्बो) की घाटी से होकर गुज़रता है।
यह राजमार्ग पैड टाउनशिप को चीन में स्थित ‘तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र’ (Tibet Autonomous Region- TAR), न्यिंगची और मेडोग काउंटी से जोड़ता है।मेडोग अरुणाचल प्रदेश (भारत ) की सीमा के करीब स्थित तिब्बत का अंतिम प्रांत है।
इस राजमार्ग के निर्माण से न्यिंगची और मेडोग काउंटी के बीच यात्रा की यात्रा अब आठ घंटे कम हो जायेगी ।
ब्रह्मपुत्र नदी
- विश्व की सबसे गहरी घाटी वाली यह नदी तिब्बत की सबसे लंबी नदी है ,इसमें सबसे ऊँचे पर्वत शिखर से लेकर सबसे निचले बेसिन ( 7,000 मीटर ) पाए जाते हैं।
- विदित हो कि चीन दक्षिणी तिब्बत के एक भाग के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा प्रस्तुत करता है, जिसे भारत द्वारा खारिज़ किया जाता रहा है।
- भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) शामिल है।
चीन द्वारा अन्य सामरिक राजमार्ग निर्माण कार्य:
रेलवे लाइन:
- वर्ष 2020 में चीन ने एक रेलवे लाइन पर काम शुरू किया था जो रणनीतिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्णहै । यह लाइन चीन के सिचुआन प्रांत को तिब्बत में न्यिंगची से जोड़ेगी ।भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के निकट से यह रेलवे लाइन गुजरती है।
- इससे पहले वर्ष 2006 में चिंगहई-तिब्बत रेलमार्ग (Qinghai-Tibet railway) शुरू किए गया था। इसके बाद से यह तिब्बत का दूसरा प्रमुख रेल लिंक है।
नए गाँवों का निर्माण:
- अरुणाचल प्रदेश में जनवरी 2021 में बुमला दर्रे से 5 किलोमीटर दूर चीन द्वारा 3 गाँवों को स्थापित किये जाने की खबर थी ।
- उपग्रह चित्रों के माध्यम से वर्ष 2020 में भूटान की सीमा के अंतर्गत 2-3 किमी में निर्मित ‘पंगडा’ नामक एक नया गाँव देखा गया।
- वर्ष 2017 में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region –TAR)सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में मध्यम रूप से संपन्न गाँव बनाने की योजना शुरू की।इस योजना के तहत कुल 628 गाँव विकसित किये जाएंगे जो भारत, भूटान, नेपाल और चीन की सीमाओं के साथ नगारी, शिगात्से, शन्नान और न्यिंगची प्रांतों तथा अन्य दूरदराज़ के इलाकों में स्थित होंगे।
भारत की चिंताएँ:
चीनकी ‘मेडोग काउंटी’ घाटी में बनने वाले इस ‘मेगा यारलुंग ज़ांगबो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट’ के चीन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, इससे चीन के सीमा क्षेत्र में सैन्यकर्मियों एवं सामग्री परिवहन और रसद आपूर्ति की दक्षता बढ़ेगी, और आपूर्तिप्रक्रिया में इससे काफी सुधार होगा।
भारत द्वारा उठाए गए कदम:
- भारत सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) के 10% राशि को केवल चीन सीमा क्षेत्र पर बुनियादी ढाँचे में सुधार हेतु खर्च करेगा।
- सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण भी किया है। जो भारत और चीन के बीच LAC तक जाने वाली सड़कों को जोड़ता है।
- अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले के नेचिफू में तवांग से LAC तक सैनिकों की यात्रा के समय को कम करने वाली एक सुरंग का निर्माण भी किया जा रहा है ।
- अरुणाचल प्रदेश में तवांग को अरुणाचल प्रदेश और गुवाहाटी से जोड़ने वाले‘ ला’ दर्रा के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया जा रहा है ।
- अरुणाचल सरकार ने भारत-चीन सीमा पर 10 शहरों के बुनियादी विकास हेतु एक पायलट प्रोजेक्ट चलाने की बात की है , इस के तहत राज्य में दूर शहरी केंद्रों में प्रवास करने वाले जो चीन से आते हैं को रोका जा सकेगा ।
- अरुणाचल प्रदेश में सिसेरी नदी पुल निचली दिबांग घाटी में स्थित है। यह दिबांग घाटी और सियांग को जोड़ता है।
- भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में वर्ष 2019 में भारत के सबसे पूर्वी चांगलांग ज़िले के विजयनगर गाँव में रनवे का उद्घाटन किया है ।
- भारतीय सेना ने वर्ष 2019 में अपने नव-निर्मित एकीकृत युद्ध समूहों (IBG) के साथ अरुणाचल प्रदेश और असम में ‘हिमविजय’ युद्धअभ्यास किया।
- वर्ष 2018 में निर्मित बोगीबील पुल, जो असम के डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ने वाल भारत का सबसे लंबा सड़क-रेल पुल है।इस पुल से भारत-चीन सीमा के पास के क्षेत्रों में सैनिकों और उपकरणों की त्वरित आवाजाही की सुविधा मिलेगी
स्रोत – द हिंदू