चीन ने किया अरुणाचल पर दावा
चीन ने अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के लिए आधिकारिक चीनी नामों की घोषणा की है।
- इसके तहत 15 स्थानों (आवासीय क्षेत्रों, पहाड़ों, नदियों आदि सहित) के लिए “मानकीकृत” नामों का उपयोग किया गया है। साथ ही, उनके सटीक निर्देशांक(coordinates) और मानचित्र भी निर्धारित किए गए हैं।
- अरुणाचल प्रदेश को चीन के मानचित्रों में “जांगनान (Zangnan)” या “दक्षिणतिब्बत” के रूप में दर्शाया गया है।
- इस नवीनतम सूची को एक नए सीमा सुरक्षा कानून से पहले जारी कियागया है। यह कानून 1 जनवरी, 2022 से लागू होगा। इस विधान में चीन में सेना से लेकर स्थानीय अधिकारियों तक विभिन्न एजेंसियों के लिए सीमाओंकी रक्षा करने की जिम्मेदारियों को निर्धारित किया गया है।
- इसके उत्तर में भारत ने कहा कि बीजिंग का यह कदम इस तथ्य को बदलनहीं सकता कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।
- भारत-चीन सीमा विवाद में 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शामिल है।
सीमा को तीन क्षेत्रों में बांटा गया है:
- पश्चिमी क्षेत्रः यह 1860 के दशक में अंग्रेजों द्वारा प्रस्तावित जॉनसन रेखा से संबंधित है। इसके तहत अक्साईचिन को तत्कालीन जम्मू और कश्मीर रियासत का भाग माना गया था।हालांकि, चीनजॉनसन रेखा को स्वीकार नहीं करता है।
- मध्य क्षेत्रः यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत और चीन ने सामान्य तौर पर सहमत क्षेत्रों के मानचित्रों का आदान-प्रदान किया है।
- पूर्वी क्षेत्रः इस क्षेत्र में मैकमहोन रेखा को लेकर विवाद है।
स्रोत – द हिन्दू