चीन द्वारा जलक्षेत्र में विदेशी पोतों का विनियमन
हाल ही में चीन ने अपने जलक्षेत्र में विदेशी पोतों का विनियमन करने के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया है।
चीन ने नए समुद्री नियमों को अधिसूचित किया है। इनके तहत चीनी जल में प्रवेश करने वाले पोतों को कार्गो के विवरण की सूचना प्रदान करनी होगी। इनमें रेडियोधर्मी सामग्री, बल्क ऑयल (एकल लेनदेन में विक्रय व आपूर्ति किया गया तेल), रसायन और अन्य आपूर्तिकर्ता पोत शामिल हैं।
नए नियम से संबंधित मुद्दे:
प्रादेशिक संघर्षः
- यदि चीन विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में इन नियमों को कठोरतापूर्वक लागू करता है, तो इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने की संभावना है।
- फिलीपीस, वियतनाम, चीन, ब्रुनेई, ताइवान और मलेशिया इतिहास एवं भौगोलिक आधारपर समुद्र पर भिन्न-भिन्न व कभी-कभी अतिव्यापी क्षेत्रीय दावे प्रस्तुत करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघनः
- वर्ष 2016 में, चीन ने समुद्री विधि पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention on the Law of the Sea: UNCLOS) माध्यस्थम न्यायाधिकरण निर्णय को अस्वीकार कर दिया था। इसमें कहा गया था कि चीन ‘नाइन-डैश लाइन’ के भीतर जल क्षेत्र में संसाधनों के ऐतिहासिक अधिकारों का दावा नहीं कर सकता है, जिसमें अधिकांश दक्षिण चीन सागर (South China Sea: SCS) शामिल है।
- नौसंचालन की स्वतंत्रता पर बल देने के लिए बीजिंग के दावों को चुनौती देते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी नौसेना अभियान का संचालन करते रहे हैं।
भारत पर प्रभावः
- भारत का 55% से अधिक व्यापार SCS और मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है ।
- इसके अतिरिक्त, भारत SCS के तटवर्ती देशों के साथ तेल और गैस क्षेत्र में सहयोग सहित विभिन्न गतिविधियां संचालित करता है।
स्रोत – द हिन्दू