चीन के राष्ट्रपति ने कहा है कि ‘एक देश, दो प्रणाली’ जारी रहेगी
हाल ही में चीन ने हांगकांग पर पुनः नियंत्रण की 25वीं वर्षगांठ मनायी। इस दौरान शी जिनपिंग ने एक देश, दो प्रणाली (OCTS) के तहत हांगकांग पर चीन के नियंत्रण पर बल दिया।
‘एक देश, दो प्रणाली’ का इतिहास
- इसे मूल रूप से चीन और ताइवान को एकजुट करने के लिए प्रस्तावित किया गया था। लेकिन, ताइवान ने इसे अस्वीकार कर दिया था।
- यह विचार तब फिर से सामने आया, जब चीन ने ब्रिटेन और पुर्तगाल के साथ वार्ताएं शुरू की। तब ब्रिटेन और पुर्तगाल क्रमशः हांगकांग और मकाऊ पर औपनिवेशिक शासन कर रहे थे।
एक देश, दो प्रणाली (OCTS) के बारे में–
- चीन के अनुसार इस प्रणाली के तहत मुख्यभूमि चीन का भाग होते हुए भी हांगकांग और मकाऊ की भिन्न आर्थिक एवं राजनीतिक प्रणालियां हो सकती हैं।
- दोनों क्षेत्र चीन के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बन गए। इनकी अपनी भिन्न मुद्राएं तथा आर्थिक और कानूनी प्रणालियां हैं। हालांकि, रक्षा और विदेश मामलों पर चीन निर्णय लेता है।
- इसके अलावा, हांगकांग के पास सभा करने की और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। साथ ही, कुछ लोकतांत्रिक अधिकार भी हैं, जो मुख्य भूमि चीन में उपलब्ध नहीं हैं।
- इन स्वतंत्रताओं को मूल कानून द्वारा संरक्षित किया जाता है। मूल कानून एक लघु-संविधान है। यह हांगकांग और चीन के बीच संबंधों का मार्गदर्शन करता है।
- मूल कानून 50 वर्षों के लिए मान्य है। यह हांगकांग के लिए वर्ष 2047 तक और मकाऊ के लिए वर्ष 2049 तक मान्य होगा। लेकिन, यह स्पष्ट नहीं है कि इस अवधि के बाद क्या होगा।
हांगकांग और मकाऊ
- प्रथम अफीम युद्ध के बाद वर्ष 1842 में अंग्रेजों ने हांगकांग पर अधिकार कर लिया था। वर्ष 1898 में, ब्रिटेन और चीन ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत अंग्रेजों को हांगकांग के आसपास के द्वीप 99 वर्षों के लिए पट्टे (लीज़) पर दे दिए गए।
- दूसरी ओर, मकाऊ पर 1557 ई. से पुर्तगालियों का शासन था। वर्ष 1980 के दशक में, चीन ने दोनों क्षेत्रों की प्राप्ति के लिए ब्रिटेन और पुर्तगाल के साथ वार्ता शुरू की।
- वर्ष 1997 में हांगकांग चीनी नियंत्रण में वापस आ गया। वहीं मकाऊ की संप्रभुता वर्ष 1999 में स्थानांतरित कर दी गई।
स्रोत– द हिन्दू