चीता परियोजना पर निगरानीके लिए ‘चीता परियोजना संचालन समिति (CPSC)’ का गठन
हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने चीता परियोजना पर निगरानी रखने के लिए ‘चीता परियोजना संचालन समिति (CPSC)’ का गठन किया है।
- 11 सदस्यीय CPSC में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल हैं। इस समिति का मुख्य कार्य चीता परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी करना है। यह समिति दो साल के लिए प्रभावी रहेगी।
- चीता परियोजना किसी बड़े जंगली मांसाहारी जानवर के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण की विश्व की पहली परियोजना है।
- चूंकि, चीता पारिस्थितिक तंत्र की एक कीस्टोन प्रजाति है, इसलिए इस परियोजना से खुले वन और घास भूमि पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्बहाल करने, जैव विविधता के संरक्षण आदि की उम्मीद की गई है।
- हाल ही में, मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में स्थानांतरित नामीबियाई चीता से पैदा हुए शावकों की मौत हो गई थी। इसी घटना के कारण CPSC का गठन किया गया है।
‘प्रोजेक्ट चीता’ की सततता के समक्ष मौजूद चुनौतियां –
- चीतों की लंबी दूरी तक आने-जाने की प्रवृत्ति होती है, जबकि KNP के पास बहुत कम क्षेत्र उपलब्ध है।
- ये चीते अपने नए पर्यावास में फैल जाने एवं घूमने, शिकार की खोज में निकलने, अपने क्षेत्र को बचाने के लिए आक्रामकता दिखाने जैसे व्यवहार सीखने में अभी असमर्थ हैं।
- इन चीतों के पुनर्वास के स्थान पर उनके मूल पारिस्थितिकी तंत्र के समान शिकार आधार नहीं है।
- जटिल स्थलाकृति और दुर्गम इलाके होने तथा कुशल कर्मियों के अभाव के कारण चीतों के स्थानांतरण के बाद उनकी निगरानी में कठिनाई पैदा हो रही है ।
- देश भर के जंगलों में आवारा कुत्तों की बड़ी आबादी पाई जाती है। ये कुत्ते पार्वोवायरस (Parvovirus) जैसे रोगजनकों के वाहक होते हैं, जो चीतों के लिए घातक होते हैं।
CPSC को सौंपे गए कार्य
- कार्यक्रम की प्रगति की निगरानी करना तथा मध्य प्रदेश वन विभाग और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को सलाह देना,
- चीतों के पर्यावास को ईको-टूरिज्म के लिए खोलने पर निर्णय लेना और इस संबंध में विनियमों का सुझाव देना,
- परियोजना गतिविधि में स्थानीय समुदाय को शामिल करने के तरीकों पर सुझाव देना।
स्रोत – द हिन्दू