भारत और ईरान के बीच मई, 2016 में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने हेतु एक द्विपक्षीय अनुबंध किया गया था , अब इसी अनुबंध के एक हिस्से के तहत भारत ने ईरान में बंदरगाह के लिए दो मोबाइल हार्बर क्रेन सौंपे हैं।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जोबाइडन द्वारा ईरान परमाणु समझौते में फिर से शामिल होने के संबंध में अमेरिका की नीति स्पष्ट किये जाने के बाद, भारत ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों में कुछ ढील की उम्मीद कर रहा है।
बंदरगाह की अवस्थिति:
- चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित हैं। ओमान की खाड़ी में स्थित यह बंदरगाह ईरानके दक्षिणी समुद्र तट कोभारत के पश्चिमी समुद्री तट से जोड़ता है।
- चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी-पूर्वी समुद्री किनारे पर बना हैं। इस बंदरगाह को ईरान द्वारा व्यापार मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया हैं।
- यह बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के पश्चिम की तरफ मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित हैं।
भारत के लिए चाबहार बंदरगाह का महत्व:
- मध्ययुगीन यात्री अल-बरुनी ने चाबहार को भारत का प्रवेश-द्वार भी कहा था। चाबहार का अर्थ है-‘चार झरने’।
- इसे तीन भागीदार देशों के साथ-साथ अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार के लिये सुनहरे अवसरों का प्रवेश द्वार माना जा रहा है।
- चीन ‘वन बेल्ट वन रोड’परियोजना के तहत अपने स्वयं के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है। ऐसे में चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान में चीनी निवेश के साथ विकसित किये जा रहे ग्वादर बंदरगाह के प्रत्युत्तर के रूप में भी काम कर सकता है।
- भविष्य में, चाबहार परियोजना और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारारूस तथा यूरेशिया के साथ भारतीय संपर्क/कनेक्टिविटी का अनुकूलन कर एक दूसरे के पूरक हों।चाबहार बंदरगाह को भारत द्वारा विकसित और संचालित किए जाने से, ईरान भारत का एक सैन्य सहयोगी भी बन गया है।
- इसके माध्यम से भारत को अरब सागर में चीनी मौजूदगी का मुकाबला करने में भी सहायता मिलेगी। ग्वादर बंदरगाह, चाबहार से सड़क मार्ग से 400 किमी तथा समुद्री मार्ग से 100 किमी से कम दूरी पर स्थित है।चीन, पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अरब सागर में अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयास कर रहा है।
- विदित हो कि भारत-अफगानिस्तान व्यापार अभी तक पाकिस्तान के रास्ते होता है, लेकिन पाकिस्तान इसमें रोड़े अटकाता रहता है। चाबहार बंदरगाह के ज़रिये अफगानिस्तान को भारत से व्यापार करने के लिये एक और रास्ता मिल जाएगा।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस