चक्रवात यास (Yaas)
ओडिशा में बालासोर के दक्षिण में हाल ही में यास चक्रवात आया था। इससे कुछ दिन पहले ‘ताउते’ (Tauktae) नामक चक्रवात आया था, जिसने दमन एवं दीव तथा लक्ष्यद्वीप सहित केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक आदि राज्यों को प्रभावित किया था ।
मुख्य बिंदु
- यास (Yaas) चक्रवात को यह नाम ‘ओमान’ द्वारा दिया गया है । यह फारसी भाषा का एक शब्द है जिसका अंग्रेज़ी में अर्थ ‘जैस्मीन’ (Jasmin) होता है।
- विदित हो कि उत्तरी हिंद महासागरीय क्षेत्र में सामान्यतः बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवात दो बार आते हैं। पहले चक्रवात मानसूनपूर्व (अप्रैल से जून माह की अवधि के मध्य) आते हैं, जबकि दूसरे चक्रवात मानसून पश्चात् (अक्तूबर से दिसंबर माह की अवधि के मध्य) विकसित होते हैं।
चक्रवातों का वर्गीकरण:
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चक्रवातों को उनके द्वारा उत्पन्न अधिकतम ‘निरंतर सतही हवा की गति’ (Maximum Sustained Surface Wind Speed- MSW) के आधार पर वर्गीकृत किया है।
- 48 से 63 समुद्री मील की MSW गति वाले चक्रवातों को गंभीर चक्रवात, 64 से 89 समुद्री मील की MSW गति वाले चक्रवातों को बहुत गंभीर चक्रवात, 90 से 119 समुद्री मील की MSW गति वाले चक्रवातों को अत्यंत गंभीर चक्रवात एवं 120 समुद्री मील की MSW गति वाले चक्रवातों को ‘सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
- चक्रवात यास (Yaas) को अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि इस चक्रवात की गति 90 से 119 समुद्री मील थी।
प्रभावित क्षेत्र:
- इस चक्रवात ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों को प्रभावित किया एवं धीरे- धीरे यह चक्रवाती तूफान कमज़ोर हो गया।
- बंगाल की खाड़ी में जिस क्षेत्र में चक्रवात यास का निर्माण हुआ, उस क्षेत्र में मई माह के समय में बंगाल की खाड़ी में सतह के पानी का तापमान सामान्य से कम-से-कम दो डिग्री अधिक हो जाता है।
- इस वर्ष बंगाल की खाड़ी का उत्तरी भाग सामान्य रूप से अधिक गर्म है, यहाँ का तापमान लगभग 32 डिग्री सेल्सियस तक हो गया है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात:
- गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र गोलाकार तूफान होते हैं। इनकी प्रमुख विशेषता कम वायुमंडलीय दबाव, तेज़ हवाएँ और भारी बारिश हैं। इस प्रकार के चक्रवातों की विशिष्ट विशेषताओं में एक चक्रवातों की आंख (Eye) या केंद्र में साफ आसमान होना है।
- उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में इस प्रकार के तूफानों को ‘हरिकेन’ (Hurricanes), तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन में ‘टाइफून’ (Typhoons) कहा जाता है।
- उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में इस तरह के चक्रवात को विली-विलीज़ कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र एवं हिंद महासागरीय क्षेत्र में इसे ‘उष्णकटिबंधीय चक्रवात’ कहा जाता है ।
- उत्तरी गोलार्द्ध में इन चक्रवातों की गति घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत (वामावर्त), एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा के के समरूप (दक्षिणावर्त) होती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्मित होने और उनके तीव्र होने की अनुकूल परिस्थितियाँ
- तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक एवं एक बड़ा समुद्री सतह क्षेत्र ।
- कोरिओलिस बल की उपस्थिति।
- ऊर्ध्वाधर/लंबवत हवा की गति में छोटे बदलाव।
- पहले से उपस्थित कमज़ोर निम्न-दबाव क्षेत्र या निम्न-स्तर-चक्रवात परिसंचरण।
- समुद्र तल प्रणाली के ऊपर विचलन (Divergence)।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण:
- जिस क्षेत्र या देश में यह चक्रवात उत्पन्न होता है, वह देश ‘विश्व मौसम विज्ञान संगठन’ (WMO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार चक्रवातों को नाम देते हैं।
- उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में बने उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्रमुख रूप से‘बंगाल की खाड़ी’ एवं ‘अरब सागर’ को कवर करता है। इस क्षेत्र में आने वाले 13 सदस्य प्रमुख देश – बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं।
- विश्व के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (Regional Specialised Meteorological Centres- RSMC) में से ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (IMD) एक प्रमुख केंद्र है। इसे ही उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखने का अधिकार है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ की एक संस्था है।
बंगाल की खाड़ी के चक्रवात
- बंगाल की खाड़ी का जल अवतल या उथला है। यहाँ तेज हवाएँ जल को अपने साथ आगे धकेलती हैं, जिसके कारण यह चक्रवात के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
- बंगाल की खाड़ी का आकार एक गर्त (Trough) के सामान है। इस वजह से यह तूफानों के लिए अधिक अनुकूल होता है। सागर जल उथला होता है, जिससे समुद्रीय सतह का तापमान उच्च होता है, इस वजह से खाड़ी में उत्पन्न होने वाले तूफानों की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है।
- मानसून के पश्चात उत्तर-पश्चिमी भारत से खाड़ी की ओर हवाओं की गति रुक जाती है, यह बंगाल की खाड़ी में चक्रवात आने की संभावना का एक अन्य कारण है।
अरब सागरके चक्रवात
- अरब सागर के क्षेत्र में काफी तेज हवाएं चलती हैं, जिससे यह तेज़ हवाएँ इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा को ख़त्म कर देती हैं। इसी कारण यह क्षेत्र काफी शांत भी रहता है।
- अरब सागर में ताज़े पानी का प्रवाह भी कम ही रहता है, क्योंकि यहाँ बंगाल की खाड़ी की तरह नदियों का जल नहीं आता है। जिससे सतही गर्म पानी और निचली सतह के ठंडे पानी को परस्पर मिश्रित होने में आसानी होती है, परिणामस्वरूप सतह का तापमान कम हो जाता है।
- प्रशांत महासागर से आने वाली हवाएँ पश्चिमी घाट और हिमालय से टकराती हैं, जिससे इनकी तीव्रता कम हो जाती है एवं कभी-कभी ये हवाएँ अरब सागर तक पहुँच भी नहीं पाती हैं,जिसका लाभ अरब सागर को मिलता है ।
स्रोत – द हिन्दू