चक्रवात ‘तेज’
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भविष्यवाणी की है कि चक्रवात तेज, जो अरब सागर में दबाव बना रहा है, ओमान और यमन के तटों के पास एक अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया है।
चक्रवात ‘तेज’ के संदर्भ में:
- चक्रवाती तूफान तेज के उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और 24 अक्टूबर को अल ग़ैदा (यमन) और सलालाह (ओमान) के बीच यमन-ओमान तटों को पार करने की भविष्यवाणी की गई है।
- इस अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान के लगभग 115-125 किमी प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना जताई गयी है।
- चक्रवाती तूफान तेज भारत द्वारा दिया गया नाम है।
- इस तूफान का उद्गम अरब सागर में हुआ है|
चक्रवात के बारे में:
- चक्रवात एक कम दबाव वाला क्षेत्र होता है, जिसके आस-पास तेज़ी से इसके केंद्र की ओर वायु परिसंचरण होते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में हवा की दिशा वामावर्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त होती है।
- आमतौर पर चक्रवात विनाशकारी तूफान और खराब मौसम के साथ उत्पन्न होते हैं।
- साइक्लोन शब्द ग्रीक शब्द साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ है, साँप की कुंडलियां (Coils of a Snake)। यह शब्द हेनरी पेडिंगटन (Henry Peddington) द्वारा दिया गया था, क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान समुद्र के कुंडलित नागों की तरह दिखाई देते हैं।
अरब सागर में चक्रवात की स्थिति:
- हाल के वर्षों में अरब सागर के ऊपर “बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान” की आवृत्ति देखी गयी है।
- एक अत्यंत गंभीर चक्रवात को उस चक्रवात के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसकी हवा की गति 220 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात:
- उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों में उत्पन्न तथा विकसित होने वाले चक्रवातों को ‘उष्ण कटिबंधीय चक्रवात’ कहते हैं। ये 5° से 30° उत्तर तथा 5° से 30° दक्षिणी अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं। ध्यातव्य है कि भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5° से 8° अक्षांशों वाले क्षेत्रों में न्यूनतम कोरिऑलिस बल के कारण इन चक्रवातों का प्राय: अभाव रहता है।
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात अत्यधिक विनाशकारी वायुमंडलीय तूफान होते हैं, जिनकी उत्पत्ति कर्क एवं मकर रेखाओं के मध्य महासागरीय क्षेत्र में होती है, तत्पश्चात् इनका प्रवाह स्थलीय क्षेत्र की तरफ होता है।
- ITCZ के प्रभाव से निम्न वायुदाब के केंद्र में विभिन्न क्षेत्रों से पवनें अभिसरित होती हैं तथा कोरिऑलिस बल के प्रभाव से वृत्ताकार मार्ग का अनुसरण करती हुई ऊपर उठती हैं। फलत: वृत्ताकार समदाब रेखाओं के सहारे उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति होती है।
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रमुख क्षेत्र है- कैरेबियन, चीन सागर, हिंद महासागर तथा ऑस्ट्रेलिया|
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस