चक्रवात डिटेक्शन तकनीक
हाल ही में ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के शोधकर्त्ताओं द्वारा एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रहों से पहले ही हिंद महासागर के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों (चक्रवात डिटेक्शन तकनीक) का पता लगाने में सक्षम है।
मुख्य बिंदु
- इस तकनीक के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को चक्रवात की जानकारी हासिल कराने और उसके प्रभाव के बीच एक बड़ा समय अंतराल मिल सकेगा, जिससे चक्रवात प्रबंधन संबंधी गतिविधियों में बहुत सहायता मिलेगी।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के शोधकर्त्ताओं द्वारा इस तकनीक के तहत वायुमंडलीय कॉलम में पूर्व-चक्रवाती गतिविधियों एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन कर पहचान की जाती है, और इसके स्थानिक-अस्थायी विकास को परखा जाता है।
- यह अध्ययन भारत सरकार के ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग’ के सहयोग से ‘जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम’ के तहत आयोजित किया गया है।
- जिसके तहत ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’के शोधकर्त्ताओं ने मानसून के पश्चात् उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर विकसित 4 गंभीर चक्रवातों – फैलिन, वरदा, गाजा, माडी और मानसून से पूर्व के दोचक्रवातों- मोरा और आइला का अध्ययन किया।
स्रोत : पीआईबी