हाल ही में बंगाल की खाड़ी में बने ‘डीप डिप्रेशन’ की स्थिति तेज होकर एक गहरे चक्रवाती तूफान “जवाद” (चक्रवात जवाद) में तब्दील हो गई और इस तूफान के ओडिशा और आंध्र प्रदेश के पास पहुंचने की संभावना है।
इस चक्रवाती तूफान (चक्रवात जवाद) का नाम ‘सऊदी अरब’ द्वारा रखा गया है, और इसे ‘जवाद’ नाम दिया गया है। अरबी में ‘जवाद’ का अर्थ उदार या दयालु होता है। चूंकि, यह तूफान अन्य चक्रवाती तूफानों की तरह तेज और खतरनाक नहीं होगा, इसलिए इसका नाम ‘जवाद’ रखा गया है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच उत्पन्न होने वाले चक्रवात हैं। तापमान 27ºC से अधिक होने पर वे उष्णकटिबंधीय समुद्री भागों में उत्पन्न होते हैं।
- इन क्षेत्रों में सबसे अधिक मात्रा में सौर प्रकाश होता है, जिसके परिणामस्वरूप स्थलीय और जल निकायों की ऊपरी सतह गर्म हो जाती है। जैसे-जैसे सतह गर्म होती है, समुद्र के ऊपर गर्म-आर्द्र हवा ऊपर उठने लगती है, फिर इस शून्य को भरने के लिए तेजी से आगे की ओर झुकती है, फिर यह भी गर्म होकर ऊपर उठती है।
- कोरिओलिस बल की उपस्थिति, ऊर्ध्वाधर हवाओं की गति में कमी, कमजोर निम्न दबाव क्षेत्र और समुद्र तल पर ऊपर की ओर विचलन इन चक्रवातों की उत्पत्ति और विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करते हैं। वे अत्यधिक वाष्पीकरण के कारण आर्द्र हवा के ऊपर उठने से बनते हैं।
- ये चक्रवात अपनी ऊर्जा संघनन की गुप्त ऊष्मा से प्राप्त करते हैं। इसलिए इन चक्रवातों का मुख्य प्रभाव केवल तटीय भागों में ही होता है क्योंकि जब वे भूमि के भाग में पहुँचते हैं तो उनकी ऊर्जा का स्रोत, संघनन की गुप्त ऊष्मा कम होती जाती है।
उष्ण चक्रवात की प्रमुख विशेषताएं
- पवन भार रेखाओं का आकार गोलाकार होता है।
- एक चक्रवात का व्यास 150 से 300 किमी होता है।
- चक्रवात के मध्य भाग को चक्रवात की आँख कहा जाता है।
- उनके पास वाताग्र नहीं होता है।
- इनमें वाष्पीकरण के कारण बड़ी मात्रा में गुप्त ऊष्मा होती है।
- इनकी गति 50 किलोमीटर से लेकर 300 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है।
- इनकी उत्पत्ति पतझड़ के मौसम में होती है।
स्रोत – द हिंदू