चंद्रयान 3
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थलों के निर्देशांकों (Coordinates) को अंतिम रूप दे दिया है।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के सभी तीनों संभावित स्थल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में पृथ्वी के सामने वाले हिस्से में हैं।
लैंडिंग स्थल का चयन निम्नलिखित आधारों पर किया जाता है:
- लैंडिंग स्थल की ढाल प्रवणता,
- चन्द्रमा के इक्वेटर से निकटता,
- लैंडिंग स्थल पर सूर्य के प्रकाश की अवधी,
- पृथ्वी के साथ रेडियो संचार की अनुकूलता,
- लैंडिंग स्थल में बोल्डर्स के आकार,
- गड्ढे या क्रेटरों की कम से कम मौजूदगी ।
प्राइम लैंडिंग स्थल चंद्रमा पर मंजियस यू और बोगुस्लावस्की एम क्रेटरों (दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र) के बीच स्थित है।
चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन (Follow on Mission) है। इसका प्राथमिक उद्देश्य 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उच्च – भूमि पर एक लैंडर और रोवर को उतारना है।
चंद्रयान-3 में लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन शामिल हैं-
- लैंडर: चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) तापीय चालकता और तापमान की माप करेगा। इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी (LSA) लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता की माप करेगा। लैंगमुइर प्रोब प्लाज्मा घनत्व और इसमें बदलावों का अनुमान लगाएगा ।
- रोवर : लैंडिंग साइट के आसपास के क्षेत्र की मौलिक संरचना को जानने के लिए अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS ) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) को लगाया गया है। चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) Mk III से लॉन्च किया जाएगा । GSLV तीन चरणों वाला रॉकेट है । यह क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होता है ।
इससे पहले के चंद्रयान मिशन–
- चंद्रयान-1 (2008): चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया ।
- चंद्रयान-2 (2019): वर्ष 2019 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया और चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कराया गया। हालांकि, इसका लैंडर सॉफ्टवेयर में खराबी के कारण चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
स्रोत – हिंदुस्तान टाइम्स