हाल ही में इसरो द्वारा चंद्रयान -2 ऑर्बिटर और नासा के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) के बीच संभावित टकराव को रोका गया है ।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो/ISRO) द्वारा कोलीज़न एवॉइडेंस मैन्हुवर (Collision Avoidance Man oeuvre: CAM) के माध्यम से इन दो ऑर्बिटर की टक्कर को रोका गया है।
- इसरो ने ऐसा चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के समीप निकटतम पहुँच दूरी केवल 3 किमी शेष रहने संबंधी डेटा ज्ञात होने के बाद किया, अन्यथा दोनों ऑर्बिटर के बीच टक्कर की पूर्ण संभावना थी।
- अंतरिक्ष मलबे और अन्य सक्रिय अंतरिक्ष यानों सहित अंतरिक्ष पिंडों के कारण टकराव के जोखिम को कम करने के लिए पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों के लिए CAM से गुजरना सामान्य है।
- हालांकि, यह पहली बार है जब इसरो के अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन के लिए इस तरह की अत्यंत संभावित टक्कर का अनुभव किया गया था।
चंद्रयान-2 के बारे में
- इस मिशन को वर्ष 2019 में चंद्रमा के बहिमंडल, सतह और उपसतह को मिलाकर उसके सभी क्षेत्रों का अध्ययन करने के उद्देश्य से एक ही मिशन में लॉन्च किया गया था।
- चंद्रयान -2 में चंद्रमा के अस्पष्ट दक्षिणी ध्रुव का पता लगाने के लिए एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे।
- हालांकि, मिशन में अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर अपनी सॉफ्ट लैंडिंग में विफल रहा, लेकिन इसके ऑर्बिटर (जो मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है) ने सफलतापूर्वक चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी को आज तक एकत्र और प्रसारित करना जारी रखा है।
- LRO नासा का एक रोबोटिक अंतरिक्ष यान है। यह वर्तमान में एक उत्केन्द्री ध्रुवीय मैपिंग कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।
संबंधित तथ्य
केसलर सिंड्रोमः एक ऐसी स्थिति है, जिसमें निम्न भू कक्षा में पिंडों का घनत्व इतना अधिक होता है कि वस्तुओं के बीच टकराव एक सोपानी (cascade) प्रभाव का कारण बनता है। प्रत्येक टकराव अंतरिक्ष में मलबा उत्पन्न करता है, जिससे आगे टकराव की संभावना बढ़ जाती है।
स्रोत – द हिन्दू