ग्वालियर, ओरछा के लिए यूनेस्को की ‘ऐतिहासिक शहरी भू –परिदृश्य परियोजना’ का शुभारंभ किया गया
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन – यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization.-UNESCO) द्वारा ‘ऐतिहासिक शहरी भू-दृश्य परियोजना’ के तहत ग्वालियर और ओरछा शहरों का चयन किया गया है।
ज्ञातव्य हो कि, ‘शहरी भू –परिदृश्य परियोजना’ परियोजना वर्ष 2011 में आरंभ की गई थी। इसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते ऐतिहासिक शहरों की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करते हुए उनके समावेशी तथा सुनियोजित विकास को सुनिश्चित करना है।
मुख्य तथ्य
- यह कार्यक्रम संरक्षण के प्रयासों में अधिक लोगों को शामिल करने, जागरूकता के स्तर को बढ़ाने और नवीन योजनाओं का अनुसरण करने पर केंद्रित है।
- 9वीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर पर गुर्जर-प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल कछवाहों और सिंधिया शासकों का शासन रहा है।
- ग्वालियर अपने महलों और मंदिरों के लिए विख्यात है, जिसमें जटिल नक्काशीदार सास बहू का मंदिर भी शामिल है।
- ओरछा अपने मंदिरों और महलों के लिए प्रसिद्ध है। यह16वीं शताब्दी में बुंदेला साम्राज्य की राजधानी था।
- शहर में प्रसिद्ध स्थान राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीण महल और लक्ष्मीनारायण मंदिर हैं।
अन्य संबंधित तथ्य
- एक नए फुटबॉल स्टेडियम की योजना सहित अतिविकास योजनाओं के संबद्ध में चिंताओं का उद्धरण देते हुए, इंग्लैंड के बंदरगाह शहर लिवरपूल को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची से हटा दिया गया है।
- इससे पूर्व, वर्ष 2007 में ओमान के एक वन्यजीव अभयारण्य और वर्ष2009 में जर्मनी की ड्रेसडेनएल्वे घाटी को विश्व विरासत स्थलों की सूची से हटा दिया गया था।
विश्व विरासत शहरों की सूची में शामिल होने के उपरांत, ग्वालियर और ओरछा में निम्नलिखित कार्य होंगे:
- मानसिंह महल, गूजरी महल और सहस्त्रबाहु मंदिर का जीर्णोद्धार एवं रासायनिक उपचार।
- इन स्थलों को विरूपण और चोरी से बचाने के लिए गार्ड तैनात किए जाएंगे।
- दीवार पर नक्काशी और चित्रकारी प्रत्यक्ष रूप से इन शहरों में सुस्पष्ट हो जाएगी तथा उन स्थानों के लिए संपर्क मार्ग को चौड़ा किया जाएगा।
- इन शहरों में सफाई अभियान भी बेहतर तरह से होगा।
स्रोत – द हिन्दू