ग्लासगो में पर्यावरण सम्मेलन
हाल ही में वन और भूमि उपयोग पर ग्लासगो में नेताओं की घोषणा में पुनः स्थिति-स्थापक (Resilient) द्वीपीय देशों के लिए बुनियादी ढांचे का शुभारंभ किया है ।
वर्ष 2030 तक निर्वनीकरण को समाप्त करने और इस प्रक्रिया को उलटने के लिए 26वें पक्षकारों के सम्मेलन (COP26) में यह प्रथम व्यापक समझौता है।
यह सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को पूरा करने के लिए सभी प्रकार के वनों, जैव विविधता और संधारणीय भूमि उपयोग की महत्वपूर्ण एवं परस्पर निर्भर भूमिका को मान्यता प्रदान करता है। साथ ही, संसाधनों द्वारा मानव जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा ग्रीन हाउस गैसों के सिंक द्वारा हटाए गए उत्सर्जन को संतुलित करता है।
यह निम्नलिखित के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहन प्रदान करेगाः
- वनों और अन्य स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण करना तथा उनके पुनर्स्थापन में तीव्रता लाना।
- सुभेद्यता को कम करना, लोचशीलता को बनाएरखना एवं ग्रामीण आजीविका में वृद्धि करना।
- अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ वित्तीय प्रवाह के संरेखण को सुगम बनाना।
पुनः स्थिति-स्थापक द्वीपीय देशों के लिए बुनियादी ढांचा (Infrastructure for Resilient Island States: IRIS)
- IRIS को आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (भारत द्वारा वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया) द्वारा छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ शुरू किया गया था।
- IRIS द्वारा इन देशों को जलवाय संकट के लिए पुनः स्थिति-स्थापक बुनियादी ढांचा विकसित करने हेतु तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।
स्रोत –द हिन्दू