मेकिंग गुड ऑन ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट

मेकिंग गुड ऑन ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट

मेकिंग गुड ऑन ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट : वर्ष 2025 तक वनों से एक गीगाटन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए कार्रवाई का आह्वान’ रिपोर्ट जारी की गई है

यह रिपोर्ट निम्नलिखित संस्थानों ने जारी की है:

  • निर्वनीकरण और वन निम्नीकरण से होने वाले उत्सर्जन में कटौती (REDD) पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम,
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम-विश्व संरक्षण निगरानी केंद्र (UNEP-WCMC) और
  • ग्रीन गीगाटन चैलेंज (GGC)
  • GGC एक वैश्विक प्रयास है। इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक और उसके बाद वार्षिक रूप से उत्सर्जन में एक गीगा टन की उच्च गुणवत्तापूर्ण कमी के लिए धन जुटाना है।
  • उत्सर्जन में कटौती के लिए वन-आधारित प्राकृतिक जलवायु समाधानों को अपनाया जाएगा।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं

  • विश्व वर्ष 2030 तक निर्वनीकरण को रोकने और इस ट्रेंड को उलटने के वनीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहा है।
  • उत्सर्जन में कटौती के लिए भुगतान करने की वर्तमान सार्वजनिक और निजी प्रतिबद्धताएं गीगाटन माइलस्टोन लक्ष्यों का केवल 24% हैं।
  • इनमें से केवल आधी प्रतिबद्धताओं को उत्सर्जन में कटौती से संबंधित खरीद समझौतों के माध्यम से पूरा किया गया है।

प्रमुख सुझाव

  • उत्सर्जन कटौती से संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए REDD+ तैयारी में अग्रिम निवेश किया जाना चाहिए।
  • इससे क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा और कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी।
  • मूल निवासियों और स्थानीय समुदायों की समान भागीदारी के माध्यम से तथा उनके साथ लाभ साझा करके उन्हें योजना का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
  • प्रोत्साहनों के माध्यम से समुचित आपूर्ति बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही, मांग का लाभ उठाया जाना चाहिए।
  • प्रोत्साहन के रूप में वन कार्बन के आधार मूल्य (floor price) में वृद्धि एक उपाय है।
  • वनों से उत्सर्जन में कमी वास्तविक और मजबूत आधार पर होनी चाहिए। उत्सर्जन में कमी की मात्रा के निर्धारण के लिए एक मजबूत तंत्र होना चाहिए।
  • रिसाव से निपटने के लिए तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्सर्जन कटौती परिणाम स्थायी हों।

संबंधित शब्दावलियां

UN-REDD (विकासशील देशों में निर्वनीकरण और वन निम्नीकरण से होने वाले उत्सर्जन में कटौती) कार्यक्रमः

  • इसका लक्ष्य जलवायु संबंधी आपात स्थितियों से निपटने के लिए वन आधारित समाधानों को अपनाने में मदद करना है।
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी और कार्बन प्रच्छादन (carbon sequestration) को बढ़ावा देकर इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
  • कार्बन प्रच्छादन- इसके तहत कार्बन को वातावरण से हटा कर उसे ठोस अथवा द्रव रूप में संग्रहित किया जाता है।
  • इसे वर्ष 2008 में शुरू किया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम तथा UNEP का एक सहयोगी प्रयास है।
  • REDD+ का उद्देश्य निर्वनीकरण और वन क्षरण से होने वाले उत्सर्जन को कम करना है। साथ ही, वनों का सतत प्रबंधन व संरक्षण सुनिश्चित करना है।
  • इसे आमतौर पर REDD + के लिए वारसॉ फ्रेमवर्क के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसे दिसंबर 2013 में वारसॉ में आयोजित COP-19 सम्मेलन में अपनाया गया था।
  • UNEP-WCMC जैव विविधता तथा समाज और अर्थव्यवस्था में प्रकृति के योगदान पर वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र है।

स्रोत – द हिन्दू

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