यूनेस्को द्वारा ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ में किया जाएगा शामिल
हाल ही में, यूनेस्को अर्थात ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ ने ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची में शामिल करने की सिफारिश की है।
यूनेस्को ने ऐसा निर्णय लेने के पीछे का कारण, ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ में प्रवालों का अति तीव्र एवं नाटकीय रूप से क्षय होना बताया है।
मुख्य बिंदु
- यद्यपि , ऑस्ट्रेलिया द्वारा यूनेस्को की इस पहल का विरोध किया गया है, इस वजह से यूनेस्को और ऑस्ट्रेलियाई सरकारके बीच इस अनुप्रतीकात्मक स्थल (iconic site) के संस्थिति एवं दर्जे को लेकर विवाद बना हुआ है।
- वर्ष 2017 में यूनेस्कोने पहली बार “संकटग्रस्त’एवं ‘खतरे में’ दर्जे पर बहस करने के पश्चात , कैनबरा ने प्रवाल-भित्ति के स्वास्थ्य में सुधार हेतु तीन बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर से अधिक व्यय करने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी।
- पिछले 5 वर्षों में कोरल रीफ (भित्ति) को कई विरंजन (Bleaching) घटनाओं का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से अत्यधिक मात्रा में प्रवाल नष्ट हुए हैं।
- विशेषज्ञों के अनुसार, प्रवाल-विरंजन की इन घटनाओं का प्रमुख कारण, जीवाश्म ईंधन के दहन से होने वाले ग्लोबलवार्मिंग की वजह से समुद्र के तापमान में वृद्धि होना है।
ऑस्ट्रेलिया का कार्बन उत्सर्जन:
- ऑस्ट्रेलिया विश्व में प्रति व्यक्ति सर्वाधिक कार्बन उत्सर्जक देशों में शामिल है। इसका मुख्य कारण ऑस्ट्रेलिया की कोयला-जनित विद्युत पर निर्भरता है ।
- ऑस्ट्रेलिया में रूढ़िवादी सरकार द्वारा देश के जीवाश्म ईंधन उद्योगों का लगातार समर्थन किया जाता रहा है, और सरकार द्वारा उत्सर्जन पर कड़ी कार्यवाही न करने के पीछे तर्क दिया जाता है, की ऐसा करने से उनके रोजगार पर असर पड़ेगा ।
‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ क्या हैं ?
‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ (In Danger World Heritage Sites) सूची, वर्ष 1972 के ‘विश्व विरासत अभिसमय’ (World Heritage Convention) के अनुच्छेद 11 (4) के अनुसार निर्धारित की जाती है।
उद्देश्य
इस सूची को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य, किसी भी संपत्ति पर उनकी ‘विशेषताओं’ और विरासत के लिए आने वाले संकट या खतरों की स्थितियों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सूचित करना तथा इसके लिए सुधारात्मक कार्रवाई करने को प्रोत्साहित करना है।
मानदंड:
किसी ‘विश्व धरोहर संपत्ति’ को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची घोषित करने के लिये यूनेस्को द्वारा एक ‘निर्धारित मानदंड सूची’ बनाई गई है ,अतः इस निर्धारित सूचीबद्ध मानदंडों में से किसी एक के भी अनुरूप पाए जाने पर, विश्व विरासत समिति (World Heritage Committee) द्वारा उस संपत्ति को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची में दर्ज कर दिया जाता है।
निहितार्थ:
- किसी भी संपत्ति को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची में दर्ज करने के पश्चात ‘विश्व धरोहर समिति’, विश्व धरोहर कोष (World Heritage Fund) से ‘संकटग्रस्त संपत्ति’ को तत्काल सहायता आवंटित कर सकती है।
- सूची में शामिल किए जाने के पश्चात , ‘विश्व धरोहर समिति’ द्वारा, संबंधित देश के परामर्श से, सुधारात्मक उपायों के लिए कार्यक्रम तैयार किया जाता है।
उदाहरण:
ईरान के एक शहर बाम में दिसंबर 2003 में भूकंप आया तह जिससे शहर में लगभग 26,000 लोग मारे गए, इसके पश्चात शहर में स्थित एक प्राचीन किले और आसपास के सांस्कृतिक क्षेत्रों को, वर्ष 2004 में, यूनेस्को की विश्व विरासत सूची और ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ सूची में शामिल कर लिया गया था।
स्रोत – द हिन्दू