ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI) परियोजना
हाल ही में जनजातीय परिषद ने विवादास्पद ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI) परियोजना के लिए अनापत्ति प्रमाण–पत्र (NOC) को वापस ले लिया है।
GNI परियोजना को ग्रेट निकोबार द्वीप के समग्र विकास के लिए नीति आयोग ने तैयार किया है।
इसमें निम्नलिखित का विकास शामिल है:
- एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस- शिपमेंट टर्मिनल (ICTT),
- एक सैन्य – असैन्य दोहरे उपयोग वाला हवाई अड्डा,
- एक सौर ऊर्जा संयंत्र, और एक एकीकृत टाउनशिप ।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, जनजातीय परिषद ने NOC को निम्नलिखित कारणों से वापस ले लिया है:
- इस परियोजना से शोम्पेन और ग्रेट निकोबारी जनजातियों की अपनी पैतृक भूमि तक पहुंच बाधित होगी, जहां वे 2004 की सुनामी आपदा से पहले रहते थे ।
- शोम्पेन जनजाति चारे और गौण वनोपज एकत्र करने के लिए मौसमी तथा आवधिक तौर पर इस क्षेत्र में ठहरती है।
- शोम्पेन जनजाति एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह है।
परियोजना के खिलाफ प्रकट की गई अन्य चिंताएं
- वृक्ष आवरण के नुकसान के कारण प्रवाल भित्तियां और मैंग्रोव प्रभावित होंगे। इससे समुद्र में अपवाह और तलछट का जमाव बढ़ जाएगा।
- बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण अनेक वन्यजीव प्रजातियों के समक्ष खतरा उत्पन्न होगा ।
- जैसे- लेदरबैक समुद्री कछुए, निकोबार मेगापोड, निकोबार मकैक और खारे पानी के मगरमच्छ आदि ।
- वन मंजूरी देने में पारदर्शिता की कमी है और प्रक्रियात्मक विरोधाभास भी मौजूद है। उदाहरण के लिए बंदरगाह हेतु जगह उपलब्ध कराने के लिए गैलाथिया बे वन्यजीव अभयारण्य को गैर- सूचीबद्ध करना ।
- हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने इस परियोजना पर रोक लगाने का आदेश दिया है। साथ ही, दी गई पर्यावरण मंजूरी पर फिर से विचार करने के लिए एक समिति गठित की है।
जनजातीय परिषद के बारे में
- यह पारंपरिक रूप से निर्वाचित निकाय है, जो स्थानीय लोगों के कल्याण का ध्यान रखती है।
- इसका चुनाव ग्राम परिषद के प्रमुख करते हैं। ये प्रमुख गांव या बस्तियों के निवासियों द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाते हैं ।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स