ग्रेट निकोबार का विकास – रणनीतिक अनिवार्यता और पारिस्थितिकी संबंधी चिंताएं
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर 72,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दी है।
परियोजना का महत्व
आर्थिक महत्व: प्रस्तावित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांस शिपमेंट टर्मिनल मालवाहक जहाजों का हब बन सकता है ।
सामरिक अवस्थिति: यह मलका जलडमरूमध्य के बहुत निकट अवस्थित है। यह जलडमरूमध्य हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर के बीच एक महत्वपूर्ण पोत परिवहन मार्ग है।
पर्यटन संभावनाएं: यहां के सफेद रेतीले समुद्र तट अपनी मूल प्राकृतिक अवस्था में हैं। इसके अलावा, आकर्षक समुद्री जीवन व समृद्ध जैव विविधता भी विद्यमान है। साथ ही, इसके अज्ञात रहे स्थल चिकित्सा और प्रकृति पर्यटन के लिए आदर्श गंतव्य हैं।
परियोजना से जुड़ी चिंताएं
यह पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है ऐसे में बड़े पैमाने पर अवसंरचना विकास इसे नुकसान पहुंचा सकता है।
यह परियोजना यहां के द्वीपों पर निवास करने वाली शोम्पेन और निकोबारी जनजातियों के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से संबंधित खतरे भी मौजूद हैं। यहां के द्वीपों की ऊंचाई समुद्री जल स्तर से बहुत कम है, इसलिए जल स्तर में वृद्धि से ये जलमग्न हो सकते हैं। यहां सुनामी का खतरा भी बना रहता है आदि ।
ग्रेट निकोबार द्वीप के बारे में
यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी भाग है।
इस द्वीप के दक्षिणी सिरे पर स्थित इंदिरा पॉइंट भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु है।
यहां निवास करने वाले जनजातीय समूहः शोम्पेन और निकोबारी ।
भूगोलः यहां उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन पाए जाते हैं। यहां की पर्वत श्रृंखलाएं समुद्र तल से लगभग 650 मीटर ऊंची हैं। यहां तटीय मैदान भी पाए जाते हैं।
स्रोत – द हिन्दू