ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत
हाल ही में ओवरहेड (जमीन से ऊपर) बिजली की तारों से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट (SC) द्वारा नियुक्त समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिजली की तारों को भूमिगत रूप से बिछाने की तकनीकी व्यवहार्यता निर्धारित करने के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में बर्ड डायवर्टर लगाने की सिफारिश की है, जो बिजली की तारों पर लगे फ्लैप्स होते हैं ।
ये फ्लैप्स एक रिफ्लेक्टर की तरह कार्य करते हैं और उड़ने वाले पक्षियों को लगभग 50 मीटर दूर से ही दिखाई दे जाते हैं ।
वर्ष 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने विद्युत कंपनियों को राजस्थान के थार रेगिस्तान और गुजरात के कच्छ में ‘GIB के प्राथमिक तथा संभावित पर्यावास’ के रूप में सीमांकित क्षेत्रों में कम वोल्टेज वाली सभी विद्युत लाइनों को भूमिगत करने का निर्देश दिया था ।
“प्राथमिक क्षेत्र” (Priority zones) ऐसे क्षेत्र होते हैं, जिन्हें पक्षियों के पर्यावास के लिए जाना जाता है। वहीं “संभावित क्षेत्र” (Potential regions) ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहां पक्षियों के संरक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जैसे कि कैप्टिविटी में पक्षियों का प्रजनन करवाना।
हालांकि, राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में ठोस कदम नहीं उठाए हैं। राज्य सरकारों का तर्क है कि ओवरहेड लाइनों को भूमिगत करना महंगा और अव्यावहारिक ।
साथ ही, इससे सौर ऊर्जा की लागत में भी वृद्धि होगी। इससे हरित संवृद्धि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता कम होगी ।
संरक्षणः
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972’ की अनुसूची- 1 में, IUCN में क्रिटिकली एंडेंजर्ड तथा CITES के परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू