ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के पर्यावास में भूमिगत केबल्स पर आदेश को संशोधित करें का आदेश

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के पर्यावास में भूमिगत केबल्स पर आदेश को संशोधित करें का आदेश

हल ही में सरकार ने उच्चतम न्यायालय से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के पर्यावास में भूमिगत केबल्स पर आदेश को संशोधित करने का आग्रह किया है ।

  • उच्चतम न्यायालय ने एम.के. रंजीत सिंह बनाम भारत संघ, अप्रैल 2021 मामले में भविष्य में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के ‘संभावित’ और ‘प्राथमिकता वाले पर्यावास’ दोनों में सभी विद्युत लाइनों भूमिगत बिछाना अनिवार्य कर दिया था।
  • हालांकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से निम्नलिखित कारणों से आदेश को संशोधित करने का आग्रह किया है: – यह निर्णय भारत में विद्युत क्षेत्र और जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण को व्यापक रूप से प्रभावित करेगा।
  • प्रतिबंधित किए जा रहे क्षेत्र में लगभग 263 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मौजूद है। विशेषतः यह अत्यधिक सौर विकिरण प्राप्त करने वाला क्षेत्र भी है।
  • उच्च वोल्टेज विद्युत लाइनों को भूमिगत करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त, इससे क्षेत्र से उत्पादित नवीकरणीय ऊर्जा की लागत भी अधिक हो जाएगी।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए अन्य खतरेः

शिकार, पर्यावास क्षरण, ‘हरितीकरण परियोजनाएं जो शुष्क घासभूमियों को वन्य क्षेत्रों में बदल देती हैं आदि। इसके अतिरिक्त, पवन टर्बाइनों और विद्युत् पारेषण लाइनों के टकराने से GIB की मृत्यु का खतरा विद्यमान है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए उपायः

यह पर्यावरण और वन मंत्रालय के वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास के रिकवरी कार्यक्रम मेंशामिल प्रजातियों में से एक है। यह राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (वर्ष 2002-2018) के तहत शामिल है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

पर्यावास में शुष्क और अर्ध-शुष्क घास भूमियाँ, कांटेदार झाड़ियों वाला खुला प्रदेश तथा खेतों के साथ बीच-बीच में उपजी लंबी घास शामिल हैं। यह सिंचित क्षेत्रों से दूर रहता है। राजस्थान में इनकी संख्या सबसे अधिक है और यह भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्थानिक प्रजाति है।

स्थितिः यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची में सूचीबद्ध है। प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS) में तथा वन्य जीवों और पादपों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट 1 में सम्मिलित है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में क्रिटिकली एंडेंजर्ड के रूप में भी सूचीबद्ध है।

महत्वपूर्ण स्थलः राष्ट्रीय मरू उद्यान अभयारण्य (राजस्थान), नलिया (गुजरात), वरोरा (महाराष्ट्र) और बेल्लारी (कर्नाटक)।

स्रोत – द हिन्दू

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