ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप के लिए एकीकृत भू–परिदृश्य प्रबंधन ILM योजना आरंभ

ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप के लिए एकीकृत भूपरिदृश्य प्रबंधन ILM योजना आरंभ

हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप के लिए एकीकृत भू–परिदृश्य प्रबंधन ILM योजना आरंभ की है । यह योजना भारतीय वन्यजीव संस्थान ने केन-बेतवा लिंक परियोजना के संबंध में तैयार की है।

एकीकृत भू–परिदृश्य प्रबंधन का तात्पर्य भू–परिदृश्य से आवश्यक कई उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग हितधारकों के बीच दीर्घकालिक सहयोग से है।

इन उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

कृषि उत्पादन,पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का वितरण, सांस्कृतिक विरासत और मूल्य, ग्रामीण आजीविका आदि।

ILM योजना का औचित्य निम्नलिखित कारणों से है:

  • जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता दबाव,
  • भूमि स्वामित्व के अस्पष्ट अधिकार,
  • भूमि प्रबंधन की असंधारणीय प्रथाएं,
  • समन्वयहीन और अक्सर प्रतिस्पर्धी क्षेत्रकवार नीतियां आदि।

एकीकृत भूपरिदृश्य प्रबंधन (ILM) की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • साझा या सहमत प्रबंधन, जिसमें कई भू–परिदृश्य लाभ शामिल हैं।
  • यह सहयोगात्मक, समुदाय संबद्ध योजना निर्माण और निगरानी प्रक्रिया पर आधारित है।
  • पारिस्थितिक तंत्र कार्यों और सेवाओं को अनुकूल बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन पर बल दिया जायेगा।
  • विविध भू–परिदृश्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बाजारों और लोक नीतियों का पुनर्निर्धारण किया जायेगा।

एकीकृत भूपरिदृश्य प्रबंधन (ILM) के लाभ

  • लागत का कुशल उपयोग: रणनीतियों के समन्वय और सरकार के अलग-अलग स्तरों के बीच तालमेल को प्रोत्साहित करके यह लक्ष्य प्राप्त किया जायेगा।
  • समुदायों को सशक्त बनानाः चूंकि एकीकृत भू-परिदृश्य प्रबंधन एक समावेशी और सहभागी प्रक्रिया का समर्थन करता है, इसलिए यह समुदाय को सशक्त बनाता है।
  • बाघ, गिद्ध और घड़ियाल जैसी फ्लैगशिप प्रजातियों के पर्यावास का बेहतर तरीके से संरक्षण और प्रबंधन किया जा सकेगा।
  • यह जैव विविधता संरक्षण और मानव कल्याण, विशेष रूप से वन आश्रित समुदायों के लिए भू-परिदृश्य को समग्र रूप से एकीकृत करेगा।

केन-बेतवा लिंक परियोजना-

  • नदियों को आपस में जोड़ने की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत यह पहली परियोजना है।
  • इसमें केन नदी से जल को बेतवा नदी में स्थानांतरित करने की योजना बनाई गयी है। केन और बेतवा, दोनों यमुना की सहायक नदियां हैं।
  • यह परियोजना बुंदेलखंड में संचालित की जाएगी।
  • यह एक सूखाग्रस्त क्षेत्र है। यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैला हुआ है।

स्रोत –द हिन्दू

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