‘ग्रीन हाइड्रोजन’ पर नीति आयोग की एक रिपोर्ट जारी
नीति आयोग ने “हार्नेसिंग ग्रीन हाइड्रोजनः अपरचुनिटीज फॉर डीप डीकार्बोनाइजेशन इन इंडिया” नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।
इस रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षः
- मांगः भारत में हाइड्रोजन की मांग वर्ष 2050 तक लगभग चार गुना से भी अधिक बढ़ सकती है। यह वैश्विक मांग के लगभग 10% के बराबर होगी।
- औद्योगिक डी–कार्बोनाइजेशन: उर्वरक, रिफाइनिंग, मेथनॉल, समुद्री पोत-परिवहन, लोहा और इस्पात एवं परिवहन जैसे क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन के लिए ग्रीन हाइड्रोजन महत्वपूर्ण है। इन क्षेत्रों में कार्बोनाइज करना तकनीकी अभाव एवं लागत संबंधी लाभप्रदता के कारण एक कठिन कार्य होता है। ग्रीन हाइड्रोजन से वर्ष 2050 तक संचयी रूप से CO, उत्सर्जन में 3.6 गीगाटन की कमी हो सकती है।
- विनिर्माण और निर्यातः वैश्विक रूप से ग्रीन हाइड्रोजन एक प्रतिस्पर्धी उद्योग है। इससे ग्रीन हाइड्रोजन और हाइड्रोजन एम्बेडेड निम्न कार्बन उत्पादों जैसे ग्रीन अमोनिया एवं ग्रीन स्टील के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। इससे वर्ष 2030 तक देश में 95 गीगावाट (GW) इलेक्ट्रोलिसिस क्षमता को भी प्राप्त किया जा सकता है।
स्रोत –द हिन्दू