RBI द्वारा ‘ग्रीन डिपॉजिट‘ को स्वीकार्य बनाने के लिए फ्रेमवर्क जारी
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ‘ग्रीन डिपॉजिट’ को स्वीकार्य बनाने के लिए फ्रेमवर्क जारी किया है।
ग्रीन डिपॉजिट से तात्पर्य ब्याज आधारित जमा से है। इसे एक निश्चित अवधि के लिए विनियमित संस्थाएं प्राप्त करती हैं। इससे अर्जित आय को हरित वित्त (ग्रीन फाइनेंस) के आवंटन हेतु निर्धारित किया जाता है।
फ्रेमवर्क के उद्देश्य:
- यह ग्राहकों को ग्रीन डिपॉजिट का अवसर प्रदान करता है,
- यह जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करता है,
- यह ग्राहकों को उनके संधारणीय एजेंडा को प्राप्त करने में सहायता करता है,
- यह ग्रीनवाशिंग से संबंधित चिंताओं को दूर करता है, और
- यह हरित गतिविधियों / परियोजनाओं के लिए ऋण के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है।
ग्रीन डिपॉजिट की स्वीकार्यता के लिए फ्रेमवर्क की मुख्य विशेषताएं:
- किनके लिए है: यह लघु वित्त बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए है। यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लोकल एरिया बैंकों और भुगतान बैंकों के लिए नहीं है।
- यह RBI में पंजीकृत जमा स्वीकार करने वाली सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) सहित आवास वित्त कंपनियों (HFCs) के लिए भी लागू है।
- ग्रीन डिपॉजिट को केवल भारतीय रुपये में मूल्यवर्गित किया जाएगा ।
- ग्रीन डिपॉजिट के जरिए जुटाई गई राशि से नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, स्वच्छ परिवहन, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, सतत जल और अपशिष्ट प्रबंधन, हरित भवन जैसे क्षेत्रकों / परियोजनाओं का वित्त पोषण किया जाएगा।
- कई परियोजनाएं ग्रीन डिपॉजिट के जरिए जुटाई गई राशि से वित्त पोषण के लिए पात्र नहीं हैं।
इनमें शामिल हैं:
- जीवाश्म ईंधन का नया या मौजूदा निष्कर्षण, उत्पादन और वितरण; परमाणु ऊर्जा उत्पादन; प्रत्यक्ष अपशिष्ट भस्मीकरण; लैंडफिल परियोजनाएं ; 25 मेगावाट से अधिक क्षमता के जल विद्युत संयंत्र आदि
- ग्रीन डिपॉजिट के जरिए जुटाई गई धनराशि का वार्षिक आधार पर एक स्वतंत्र तृतीय-पक्ष द्वारा सत्यापन किया जाएगा।
ग्रीनवॉशिंग का अर्थ
ग्रीनवॉशिंग का अर्थ उत्पादों/सेवाओं को ग्रीन यानी पर्यावरण के अनुकूल बताकर उनकी मार्केटिंग करना है, जबकि वास्तव में वे हरित गतिविधियों/परियोजनाओं के रूप में परिभाषित होने के मानदंडों को पूरा नहीं करते/करती हैं।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस