ग्रामीण भारत में शिक्षा की स्थिति संबंधी रिपोर्ट
हाल ही में ग्रामीण भारत में शिक्षा की स्थिति संबंधी रिपोर्ट जारी की गई है।
यह रिपोर्ट ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन (TRIF) और संबोधि प्राइवेट लिमिटेड की एक पहल के तहत डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने तैयार की है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- आकांक्षाए: ग्रामीण भारत में 78% माता-पिता ऐसे हैं, जो अपनी बेटियों को स्नातक और उससे आगे तक पढ़ाने की इच्छा रखते हैं ।
- स्कूल ड्रॉपआउट: प्राथमिक स्कूली शिक्षा के दौरान 35 प्रतिशत लड़कियां बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। लड़कों के मामले में यह संख्या 25 प्रतिशत है।
ड्रॉप आउट के कारण:
- उच्चतर कक्षाओं (अर्थात् माध्यमिक और उच्च-माध्यमिक) वाले स्कूलों का घर के नजदीक नहीं होना ।
- स्कूली शिक्षा का खर्च वहन करने की क्षमता का अभाव ।
- लड़कियों के लिए: घर के कामों में व्यस्त रहना और घर पर भाई-बहनों की देखभाल करना ।
- लड़कों के लिए: परिवार की आय संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए काम पर लग जाना और पढ़ने में रुचि न होना ।
- स्मार्ट फोन तक पहुंच: कक्षा 8 और उससे ऊपर की कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों की स्मार्टफोन तक अधिक पहुंच (58.32%) है।
सिफारिश: स्कूलों में सामुदायिक स्वामित्व और समुदाय/अभिभावक सहभागिता के जरिए स्कूली शिक्षा में मौजूदा विश्वास की कमी को दूर किया जा सकता है।
शिक्षा के लिए सरकारी पहलें : समग्र शिक्षा, मध्याह्न भोजन, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और पीएम पोषण योजना आदि ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस