गैम्बलिंग जुआ/सट्टा वेबसाइट्स विनियमन
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि गैम्बलिंग जुआ/सट्टा वेबसाइट्स विनियमन से संबद्ध वेबसाइट्स को विनियमित करने की जिम्मेदारी राज्यों की है ।
अविनाश मेहरोत्रा बनाम भारत संघ एवं अन्य वाद में, केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
- याचिका में यह दावा किया गया है कि भारत में ऑनलाइन गैम्बलिंग तंत्र अविनियमित है। साथ ही,यह हवाला संचालन, धन शोधन आदि के लिए एक उपयुक्त माध्यम बना गया है।
- ज्ञातव्य है कि दांव (वेटिंग) द्यूत भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची- ॥ (राज्यसूची) की प्रविष्टि 34 के अंतर्गत राज्य सूची के विषय हैं।
- इसके अतिरिक्त, सिक्किम, नागालैंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों ने पहले से ही ऐसी विधियाँ लागू की हैं, जो विशेष रूप से ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करती हैं, किन्तु इनका प्रवर्तन संतोषजनक नहीं है।
- विधि आयोग ने वर्ष 2018 की अपनी एक रिपोर्ट में जुआ और दांव के विनियमन की अनुशंसा की थी। इसमें अनुशंसित किया गया था कि द्यूत के विनियमन के लिए संसद एक आदर्श विधि निर्मित कर सकती है, जिसे राज्यों द्वारा अपनाया जा सकता है।
- संसद अनुच्छेद 249 (राष्ट्रीय हित में) या अनुच्छेद 252 (यदि दो या अधिक राज्यों की सहमति हो) के तहत भी कानून बना सकती है।
- इसके अनुसार ऑनलाइन गैम्बलिंग और बेटिंग के संबंध में, संसद के पास भी विधि निर्माण की क्षमता है।
ऑनलाइन गेमिंग के बारे में
- साधारणतः ऑनलाइन गैम्बलिंग से तात्पर्य दांव लगाने और धन अर्जन के लिए इंटरनेट का उपयोग करने से है। यह कैसीनो में गैम्बलिंग की भांति ही है, किन्तु दोनों के मध्य अंतर यह है कि ऑनलाइन गैम्बलिंग एक वर्चुअल (आभासी) माध्यम से की जाती है।
- इसमें पोकर खेलना, स्पोर्ट्स गेम, कैसीनो गेम्स आदि शामिल हैं। उपयोगकर्ता ऑनलाइन भुगतान मोड जैसे क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या यू.पी.आई. (सर्वाधिक प्रयुक्त विकल्पो) के माध्यम से दांव लगा सकते हैं।
स्रोत –द हिन्दू