‘गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध’
हाल ही में भारत सरकार ने बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है ।
गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के पीछे निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं:
देश की समग्र खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा पड़ोसी और गरीब देशों की जरूरतों का समर्थन जारी रखने के लिए ऐसा आवश्यक था।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की वैश्विक कीमतों में तेज वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप, कुछ किसान व्यापारियों को गेहूं बेच रहे थे।
इस वजह से भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा बफर स्टॉक की खरीद में तेज गिरावट दर्ज की गयी है। भारत की गेहूं की फसल हीटवेव से भी प्रभावित हुई है। इससे उत्पादन में कमी आई है।
खाद्य और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल इन्फ्लेशन) को आठ वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है।
गेहूं के बारे में
- गेहूं की फसल रबी (सर्दियों) के मौसम में उगाई जाती है। भारत विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- जलवायु आवश्यकताः इसे उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय तथा शीतोष्ण क्षेत्रों सहित सुदूर उत्तर के ठंडे इलाकों में उगाया जा सकता है।
- फसल की वृद्धि की अधिकांश अवधि के दौरान ठंडे और आद्र मौसम की आवश्यकता होती है। ठीक से पकने में सक्षम होने के लिए इसे शुष्क व गर्म मौसम की जरुरत होती है।
- गेहूं की फसल के लिए आदर्श तापमान सीमा 20-25 डिग्री सेल्सियस है।
- गेहूं में जब दाने वाला हिस्सा बन रहा हो या फूल लगने लगे तब अत्यधिक उच्च या निम्न तापमान और सूखा गेहूं के लिए हानिकारक होते हैं।
- गेहूं की खेती के लिए आदर्श मृदा दोमट या दोमट बनावट वाली तथा अच्छी संरचना और मध्यम जल धारण क्षमता वाली होनी चाहिए।
गेहूं से संबंधित अन्य सुर्खियां–
- जल्दबाजी में गेहूं को बेचने से रोकने के लिए, केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ में गेहूं के लिए उचित और औसत गुणवत्ता (Fair and Average Quality. FAQ) मानदंडों में छूट दी है।
- इसके तहत “सूखे और टूटे अनाज’ की सरकारी खरीद की सीमा बढ़ा दी गयी है।
- मार्च में बेमौसम गर्मी के कारण गेहूं का दाना सिकुड़ गया था। इससे गेहूं सामान्य गुणवत्ता मानदंडों के अनुसार खरीद के लिए अनुपयुक्त हो गया था।
- उचित और औसत गुणवत्ता (FAQ) वाली गेहूं की फसल पूरी तरह से विकसित होती है। इसमें उचित चमक या आमा होती है। मुख्य किस्में सुनहरे या हल्के पीले रंग की होती हैं, दाना गहरा नहीं होता है और इसमें कोई धारियाँ नहीं होती हैं।
स्रोत –द हिन्दू