गुरु तेग बहादुर जयंती
1 मई को सम्पूर्ण देश में गुरु तेग बहादुर की 400 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं दीं हैं । उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर का बलिदान कई लोगों को “शक्ति और प्रेरणा” देता है। इस अवसर पर देश भर में सिख समुदाय के लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur)
- सिक्खों के 9वें गुरु तेग बहादुरका जन्म वर्ष 1621 में अमृतसर में हुआ था। उनके पिताजी गुरु हरगोबिन्द सिक्खों के 6वें गुरु थे।उनके माताजी का नाम नानकी था ।
- दरअसल गुरु तेग बहादुर ने मुगलों के धार्मिक उत्पीडन से कश्मीरी हिन्दुओं की रक्षा कि थी। दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब गुरु तेग बहादुर की मृत्यु और अंतिम संस्कार से सम्बंधित है।
- औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को बंदी बनाकर उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो वे इस्लाम धर्म स्वीकार करें या उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाये ।उन्होंने धर्म का मार्ग चुना जिसके बाद मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1675 गुरु तेग बहादुर को मृत्युदंड की सजा दी ।
- इनके पुत्र का नाम गुरु गोविन्द सिंह था।जो सिखों केअंतिम गुरु थे।गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की।
- यह सैनिक-संतों का विशिष्ट समूह था। खालसा प्रतिबद्धता, समर्पण और सामाजिक चेतना के सर्वोच्च सिख गुणों का पालन करता है ।
- आदि ग्रंथ को सिख धर्म के पाँचवें गुरु ‘गुरु अर्जुन देव’ द्वारा संकलित किया गया था।इस आदि ग्रंथ में सिख धर्म के दसवें गुरु ‘गुरु गोविंद सिंह’ ने अपना कोई भजन नहीं जोड़ा।जबकि नौवें सिख गुरु ‘गुरु तेग बहादुर’ के सभी 115 भजनों को इस आदि ग्रंथ में जोड़ा गया ।
- ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ की रचना मुख्य रूप से 6 सिख गुरुओं (गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव एवं गुरु तेग बहादुर) द्वारा की गई थी।
स्रोत – पीआईबी