भारत के नए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) को WTO के सदस्यों द्वारा विरोध
हाल ही में नए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) को WTO के सदस्यों और घरेलू विनिर्माताओं से विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
- हाल ही में, भारत ने चीन से बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने और पश्चिमी बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से QCO का मसौदा जारी करने की योजना बनाई है।
- भारत के इस कदम को WTO में विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
- उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) एल्यूमीनियम, तांबे आदि से बने उत्पादों के लिए 50 QCOs जारी करने की योजना बना रहा है।
- QCOs भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालय/विभाग जारी करते हैं । इन्हें भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अधिनियम, 2016 की धारा – 16 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए जारी किया जाता है।
- QCO का उद्देश्य सार्वजनिक हित में; मानव, जानवर या पौधों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए; अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम आदि के लिए उत्पादों द्वारा अनिवार्य भारतीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना है ।
- इन आदेशों के तहत उन उत्पादों के उत्पादन, बिक्री / व्यापार, आयात और भंडारण की तब तक अनुमति नहीं होगी, जब तक इन पर BIS चिह्न न हो ।
QCO के लाभ:
- उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त होते हैं;
- गुणवत्ता युक्त विनिर्माण के माध्यम से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने में मदद मिलती है आदि।
नए QCOs से संबंधित चिंताएं
- WTO सदस्यों की चिंताएं : इनका व्यापार प्रतिबंधात्मक उपायों के रूप में दुरुपयोग किया जा सकता है। साथ ही, किसी विशेष देश से आयातों को अनुमति देने में देरी की जा सकती है।
- घरेलू विनिर्माताओं की चिंताएं : आपूर्ति – श्रृंखला में बाधाओं में बढ़ोतरी होगी, भारतीय कंपनियों की विश्वसनीयता कम होगी तथा मानकों का पालन करने के लिए उद्योगों को दिए गए सीमित समय के कारण निर्यात आदेश किसी ओर को मिल जाएंगे।
- उदाहरण के लिए – विस्कोस स्टेपल फाइबर पर QCO ने उद्योग को मानकों के अनुपालन के लिए केवल 30 दिन का समय दिया था।
स्रोत – लाइव मिंट
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