गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (WTO) सदस्य देशों के घरेलू गुणवत्ता नियंत्रण उपायों से चिंतित है।
कनाडा, जापान, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ के अनुसार भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Orders: QCOs) संरक्षणवाद की ओर उन्मुख प्रतीत होते हैं।
उनका यह भी कहना है कि संभवतः भारत के ये उपाय तकनीकी बाधाओं पर समझौते (Agreement on Technical Barriers) के अनुरूप नहीं हैं।
व्यापार के लिए तकनीकी बाधाओं पर समझौता
- यह समझौता अक्सर व्यापार के दौरान पालन किए जाने वाले पैकेजिंग व लेबलिंग आवश्यकताओं जैसे तकनीकी मानकों तथा पर्यावरण गुणवत्ता संबंधी मानकों पर विनियम प्रदान करता है।
- WTO यह निर्धारित करता है कि सदस्य देश उपर्युक्त विनियमों का पालन करते समय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न नहीं करेंगे।
- इस समझौते ने व्यापार के अंतर्राष्ट्रीय मानकों, तकनीकी विनियमनों और अनुरूपता आकलन प्रक्रियाओं के बीच सामंजस्य स्थापित किया है।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) के बारे में
- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), QCOs के लिए प्रमाणन प्राधिकरण है ।
- QCO का मुख्य उद्देश्य खराब गुणवत्ता वाली और बहुत सस्ती वस्तुओं के आयात को नियंत्रित करना है । साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना है कि ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त हों ।
- ये मानक अंतर्राष्ट्रीय उत्पादों के साथ-साथ घरेलू उत्पादों पर भी लागू होते हैं।
भारत का पक्ष:
- भारत का कहना है कि उसके उत्पाद मानक संबंधी सभी आदेश पूरी तरह से WTO के मानदंडों के अनुरूप हैं । उसका यह भी तर्क है कि सभी देशों के पास उपभोग की जाने वाली वस्तुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने मानक हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय मानदंड होने के बावजूद भी प्रत्येक देश के अपने अलग मानक हो सकते हैं ।
विश्व व्यापार संगठन (WTO)
- यह राष्ट्रों के बीच व्यापार संबंधी नियमों को शासित करने वाला एकमात्र वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- विश्व का 98 % व्यापार इस संगठन के दायरे में आता है ।
- इसका मंत्रिस्तरीय सम्मेलन प्रत्येक 2 वर्षों में आयोजित होता है।
- महापरिषद- यह दिन-प्रतिदिन के निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है ।
- भारत भी इस संगठन का सदस्य है।
- विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय जिनेवा में है ।
स्रोत – इकोनॉमिक्स टाइम्स