गुजरात उच्च न्यायालय ने प्रत्यक्ष प्रसारण (लाइवस्ट्रीमिंग) के नियम जारी किए
हाल ही में , भारत के मुख्य न्यायाधीश ने गुजरात उच्च न्यायालय की कार्यवाही के प्रत्यक्ष प्रसारण का शुभारंभ किया। साथ ही, उच्च न्यायालय के प्रत्यक्ष प्रसारण के नियम भी जारी किए।
- गुजरात उच्च न्यायालय, अपने स्वयं के प्रत्यक्ष प्रसारण नियम जारी करने वाला प्रथम उच्च न्यायालय बन गया है। ऐसे नियम जारी करने वाला दूसरा उच्च न्यायालय कर्नाटक उच्च न्यायालय है।
- इन नियमों का उद्देश्य खुली अदालत, पारदर्शिता, न्याय तक पहुंच और व्यापक जनहित के सिद्धांतों को प्रभावी एवं व्यापक बनाना है।
- नियमों के तहत वैवाहिक विवादों एवं लैंगिक उत्पीड़न व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत अपराध तथा किशोर न्याय, शासकीयगुप्त बात अधिनियम आदि से जुड़े मामलों के प्रत्यक्ष प्रसारण को निषिद्ध किया गया है।
चुनौतियां:
- विशिष्ट मामलों पर सार्वजनिक विमर्श में वृद्धि से अनेक लोगों के विरुद्ध व्यक्तिगत अधिकार की रक्षाकरने के न्यायालय के कर्तव्य पर लोकप्रिय निर्णय के प्रभावी होने का जोखिम है।
- 24*7 इंटरनेट और विद्युत कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाओं से संबद्ध चुनौतियाँ विद्यमान है ।
- तकनीकी कार्यबल की कमी बनी हुई है।
- भारत में डिजिटल अंतराल और निरक्षरता व्याप्त है।
अन्य पहलें:
- स्वप्निल त्रिपाठी बनाम भारत के उच्चतम न्यायालय वाद (2018) में उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया था कि न्यायालय की कार्यवाही व्यापक जनहित में प्रत्यक्ष रूप से प्रसारित की जाएगी।
- ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना की संकल्पना न्यायालयों को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) में सक्षम बनाकर भारतीय न्यायपालिका के रूपांतरण के दृष्टिकोण से की गई थी।
- उच्चतम न्यायालय की ई-समिति ने न्यायिक कार्यवाही के प्रत्यक्ष प्रसारण और रिकॉर्डिंग के लिए अपने प्रारूप आदर्श नियम जारी किए हैं।
स्रोत – द हिन्दू