गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा की मांग करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
- उच्चतम न्यायालय ने इस तथ्य की जांच करने का भी निर्णय लिया है कि क्या सामाजिक सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए गिगवर्कर्स को भी असंगठित श्रमिकों के रूप में माना जा सकता है।
- गिग वर्कर्स पद उन श्रमिकों को संदर्भित करता है, जो निश्चित वेतन, दीर्घकालिक अनुबंध इत्यादि जैसे पारंपरिक नियोक्ता कर्मचारी संबंधों से बाहर होते हैं।
- पहली बार गिगवर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अंतर्गत शामिल किया गया था। इसके अतिरिक्त, गिगवर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष भीगठित किया जाएगा।
- ठेका श्रम अधिनियम, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम आदि जैसे सभी लागू सामाजिक सुरक्षा कानूनों के अर्थ में गिग-वर्कर्स को कामगार की परिभाषा के तहत शामिल करने की मांग की जा रही है।
- सामाजिक सुरक्षा में “जीवन और दिव्यांगता कवर”, “स्वास्थ्य एवं मातृत्व लाभ”, “वृद्धावस्था सुरक्षा” आदि जैसे मुद्दे शामिल होंगे।
- सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, क्रिएटिव और मार्केटिंग प्रोफेशनल्स आदि की मांग के साथ भारत ऑनलाइन श्रम बाजार में 24% हिस्सेदारी के साथ वैश्विक गिगइकॉनमी का नेतृत्व करता है।
- भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (ASSOCHAM) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के गिगक्षेत्रक के वर्ष 2024 तक 17% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR)से बढ़कर 455 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत गिगवर्कर्स / प्लेटफॉर्म वर्कर्स का समानार्थी के रूप में उपयोग किया गया है।
- हालांकि, प्लेटफॉर्म कर्मी वे होते हैं, जो जोमैटो और स्विगी जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से संगठनों या व्यक्तियों तक पहुँचते हैं और सेवाएं प्रदान करते हैं या विशिष्ट समस्याओं का समाधान करते हैं।
स्रोत – द हिन्दू