गतिशील भूजल संसाधन आकलन (DGWRA) 2022 रिपोर्ट
हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने गतिशील भूजल संसाधन आकलन (Dynamic Ground Water Resource Assessment) 2022 रिपोर्ट जारी की है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड और राज्य/संघ राज्यक्षेत्र संयुक्त रूप से समय-समय पर भूजल संसाधन आकलन करते हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष–
पुनर्भरण (Recharge): कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण बढ़कर 437.6 अरब घन मीटर (BCM) हो गया है। इसमें वर्षा का योगदान लगभग 61% है।
दोहन: भूजल दोहन के स्तर (स्टेज) में गिरावट देखी गई है। यह दोहन कम होकर 60% तक आ गया है। भूजल पुनर्भरण की तुलना में उसके उपयोग का प्रतिशत भूजल दोहन का स्तर कहलाता है। निकाले गए कुल भूजल में से 87% का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दादरा और नगर हवेली तथा दमन एवं दीव में भूजल दोहन का स्तर बहुत अधिक (100%) है।
श्रेणियां: 67% भूजल आकलन इकाइयां सुरक्षित हैं। अति-दोहन वाली आकलन इकाइयों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। 14 आकलन इकाइयां ‘अति–दोहन’ (Overexploited) की श्रेणी में हैं और 4% ‘गंभीर’ (Critical) श्रेणी में हैं। भारत, विश्व में भूजल का सर्वाधिक उपयोग करने वाला देश है। भारत विश्व का एक चौथाई भूजल दोहन करता है।
भूजल प्रबंधन के लिए पहल–
- अटल भूजल योजना: इसका उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भूजल प्रबंधन में सुधार करना है।
- भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान 2020: इसमें वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण पर बल दिया गया है।
- जलभृत (Aquifer) मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू