‘गगनयान‘ का पहला एबॉर्ट मिशन अगस्त के अंत में आयोजित
इसरो अध्यक्ष के अनुसार, ‘गगनयान’ का पहला एबॉर्ट मिशन अगस्त के अंत में आयोजित किया जाएगा।
एबॉर्ट मिशन के तहत उन प्रणालियों का परीक्षण किया जाता है, जिनकी मदद से मिशन की विफलता की स्थिति में चालक दल को उड़ान के बीच में ही अंतरिक्ष यान से सुरक्षित निकाला जा सके ।
वर्ष 2018 में, इसरो ने पहले ही एक पैड एबॉर्ट परीक्षण किया था । यह परीक्षण लॉन्च पैड पर आपात स्थिति के मामले में चालक दल को अंतरिक्ष यान से सुरक्षित बचाने के लिए किया गया था ।
एबॉर्ट मिशनों के लिए इसरो ने समर्पित परीक्षण यान विकसित किए हैं। ये यान प्रणालियों को एक निश्चित ऊंचाई तक भेजते हैं।
इसके तहत विफलता की स्थितियां सृजित करके अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने की प्रक्रिया (एस्केप प्रणाली) की जांच की जाती है ।
गगनयान की एस्केप प्रणाली को पांच अति सक्रिय सॉलिड फ्यूल मोटर्स, हाई बर्न रेट प्रोपल्सन सिस्टम तथा स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए फिन्स के साथ डिजाइन किया गया है । यह प्रणाली क्रू मॉड्यूल से अलग हो जाती है ।
गगनयान मिशन का लक्ष्य 400 कि.मी. की ऊंचाई पर निम्न भू कक्षा (LEO) में मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन करना है । इसके तहत दो मानवरहित मिशनों और एक मानवयुक्त मिशन को सरकार ने मंजूरी प्रदान की है।
LVM3 (भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान Mk-III) को गगनयान मिशन के लिए प्रक्षेपण यान के रूप में विकसित किया गया है। इसमें ठोस चरण, तरल चरण और क्रायोजेनिक चरण शामिल हैं। अभी तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ही बाह्य अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने में सफल रहे हैं।
स्रोत – द हिन्दू