गंगा नदी सफाई एक चिंता का विषय
हाल ही में किये गए एक अध्ययन के अनुसार गंगा नदी के निचले विस्तार में जल की गुणवत्ता चिंताजनक पाई गई है ।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, कोलकाता जैसे महानगर के निकट, विशेष रूप से गंगा नदी के निचले हिस्से, मानवजनित कारकों (मुख्यतः नदी के दोनों तटों पर तीव्र जनसंख्या दबाव) के कारण बहुत अधिक प्रभावित हैं।
- गंगा के निचले हिस्से में मल में पाए जाने वाले कोलीफॉर्म की उच्च मात्रा दर्ज की गई है।
- मानवजनित तीव्र दबाव और गतिविधियों के परिणामस्वरूप गंगा नदी में अन्य प्रकार के प्रदूषकों के साथ-साथ अनुपचारित नगरपालिका अपशिष्ट और औद्योगिक अपशिष्ट को प्रवाहित कर दिया जाता है।
- मानसूनी वर्षा का प्रमुख पर्यावरणीय मापदंडों जैसे कि घुलित ऑक्सीजन, टी.डी.एस. (टोटल डिसोल्वड सॉलिड्स) और अन्य जैविक घटकों पर एक अलग प्रभाव पड़ता है।
- यह अध्ययन जल गुणवत्ता सूचकांक (WQI) पर आधारित था। इसका मूल्यांकन चार मापदंडों पर किया या है: घुलित ऑक्सीजन (DO ), pH मान, विद्युत चालकता और घुलित नाइट्रेट।
- WQI नदी प्रणालियों के स्वास्थ्य के लिए समग्र उपाय प्रदान करता है।
- WQI गुणवत्ता मानकों के आधार पर व्यापक नदी घाटी प्रबंधन योजनाओं में मदद करता है।
- मानसूनी वर्षा का प्रमुख पर्यावरणीय मापदंडों जैसे कि घुलित ऑक्सीजन, टी.डी.एस. (टोटल डिसोल्वड सॉलिड्स) और अन्य जैविक घटकों पर एक अलग प्रभाव पड़ता है।
- यह अध्ययन जल गुणवत्ता सूचकांक (WQI) पर आधारित था। इसका मूल्यांकन चार मापदंडों पर किया या है: घुलित ऑक्सीजन (DO ), pH मान, विद्युत चालकता और घुलित नाइट्रेट।
- WQI नदी प्रणालियों के स्वास्थ्य के लिए समग्र उपाय प्रदान करता है।
- WQI गुणवत्ता मानकों के आधार पर व्यापक नदी घाटी प्रबंधन योजनाओं में मदद करता है।
गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास
- नमामि गंगे मिशनः गंगा नदी के लिए एकीकृत संरक्षण मिशन।
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत 5 स्तरीय संरचना
- राष्ट्रीय गंगा परिषद,
- अधिकार प्राप्त टास्क फोर्स (ETF),
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG),
- राज्य गंगा समितियां,एवं जिला गंगा समितियां आदि।
स्रोत – द हिन्दू