खेजड़ी वृक्ष
हाल ही में राजस्थान में प्रस्तावित सौर ऊर्जा संयंत्रों पर बिश्नोई समुदाय ने आपत्ति प्रकट की है। इस समुदाय ने खेजड़ी के वृक्षों की कटाई का सख्त विरोध किया है।
खेजड़ी के वृक्ष में शुष्क मौसम में जीवित रहने की क्षमता होती है। अपनी इसी विशेषता के कारण यह थार क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह मृदा के पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, मरुस्थलीय फसलों एवं खाद्य पौधों की अच्छी उपज भी सुनिश्चित करने में योगदान करता है।
खेजड़ी का पेड़:
- खेजड़ी का पेड़ भारत में राजस्थान राज्य का राज्य वृक्ष है। राजस्थान में इस पेड़ को ‘खेजरी’ या ‘जाँटी’ के नाम से भी जाना जाता है, और Khejri Tree का दूसरा नाम ‘गाफ़’ का पेड़ है। खेजड़ी के पेड़ को अंग्रेजी में प्रोसोपिस सिनेरिया कहा जाता है जो इसका वैज्ञानिक नाम भी है,
- भारत में राजस्थान राज्य का सबसे प्रमुख और ज़्यादा मात्रा में पाए जाने वाला वृक्ष खेजड़ी है जिसे वर्ष 1982-83 में ‘राजस्थान का राज्य वृक्ष’ घोषित किया गया था। भारत में खेजड़ी का पेड़ राजस्थान राज्य के अलावा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी पाया जाता है।
उपयोगः यह पशुओं के लिए चारे के रूप में और जलाऊ लकड़ी के स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण है। खेजड़ी का पेड़ गर्मियों में फलने वाला पेड़ होता है और इसका फल बेलनाकार आकार में होता है जो कई बीज वाली फली होती है । इसकी फली 20 सेमी तक लंबी होती है, खेजड़ी के पेड़ के इस फल को सांगरी कहा जाता है, जो एक तरह की सब्जी है।
स्रोत –द हिन्दू