संयुक्त राष्ट्र की खुले समुद्र पर संधि (High Seas Treaty) पर न्यूयॉर्क में वार्ता संपन्न

संयुक्त राष्ट्र की खुले समुद्र पर संधि (High Seas Treaty) पर न्यूयॉर्क में वार्ता संपन्न

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की खुले समुद्र पर संधि (High Seas Treaty) पर न्यूयॉर्क में वार्ता का आयोजन किया गया है।

  • इस वार्ता का उद्देश्य विशाल समुद्री पारितंत्र के संरक्षण और इसके संधारणीय उपयोग के लिए एक एकीकृत समझौते को साकार करना है।
  • राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (Biodiversity Beyond National Jurisdiction: BBNJ) पर संधि को खुले समुद्र पर संधि के नाम से भी जाना जाता है ।
  • यह संधि राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जल क्षेत्रों की समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण तथा इसके संधारणीय उपयोग पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  • राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जल क्षेत्रों में महासागरों का 95% हिस्सा आता है। ये क्षेत्र बहुमूल्य पारिस्थितिकी, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और खाद्य सुरक्षा से संबंधित लाभ प्रदान करते हैं ।
  • BBNJ, समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय ( United Nations Convention on the Law of the Sea: UNCLOS) 1982 के फ्रेमवर्क के तहत एक अन्य समझौता होगा ।
  • UNCLOS ने ओशन गवर्नेस तंत्र की नींव रखी है। यह महासागरों और समुद्रों के लिए नियमों का पहला समूह है।
  • UNCLOS का भारत भी पक्षकार देश है।

UNCLOS के तहत किए गए अन्य समझौते हैं:

  • UNCLOS के भाग XI के कार्यान्वयन से संबंधित 1994 का समझौता,तथा वर्ष 1995 का संयुक्त राष्ट्र मत्स्य भंडार समझौता।

BBNJ / खुले समुद्र की संधि की आवश्यकता क्यों है?

  • यह संधि वर्ष 2030 तक विश्व के 30 प्रतिशत महासागरीय क्षेत्रों के संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन के संकल्प के क्रियान्वयन के लिए जरूरी है।
  • इससे 30×30 लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है ।
  • अभी तक BBNJ क्षेत्रों / खुले समुद्रों के केवल 1.44 प्रतिशत भाग ही संरक्षित हैं।
  • ये क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, समुद्री प्रदूषण, अत्यधिक मत्स्यन जैसे दुष्प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।

समुद्री सीमाओं की परिभाषा

  • प्रादेशिक सागर: यह किसी देश का संप्रभु क्षेत्र है। विदेशी असैन्य एवं सैन्य जलयानों को कुछ शर्तों के तहत प्रवेश (Innocent Passage) की अनुमति होती है।
  • सन्निहित क्षेत्र: इसमें कोई देश अपने प्रशुल्क, राजकोषीय, आव्रजन या संरक्षण संबंधी कानूनों के उल्लंघन को रोकने के लिए आवश्यक नियंत्रणों को लागू कर सकता है।
  • अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) : इस क्षेत्र में किसी देश को समुद्री संसाधनों को खोजने और दोहन करने, समुद्री पर्यावरण की रक्षा करने, कृत्रिम द्वीपों एवं संरचनाओं का निर्माण करने आदि का संप्रभु अधिकार होता है ।
  • खुला समुद्र: इसमें किसी देश के EEZ, प्रादेशिक सागर या आंतरिक जल क्षेत्र के बाहर का समुद्री क्षेत्र शामिल होता है। इस क्षेत्र पर किसी देश का कोई अनन्य अधिकार नहीं होता है।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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