पुरुष और महिला खिलाड़ियों के लिए समान वेतन लागू

पुरुष और महिला खिलाड़ियों के लिए समान वेतन लागू

हाल ही में भारत अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पुरुष और महिला खिलाड़ियों के लिए समान वेतन लागू करने वाला विश्व का दूसरा देश बन गया है। ऐसा पहला देश न्यूजीलैंड है।

वेतन समानता का अर्थ, यह सुनिश्चित करना है कि एक ही जगह समान प्रकृति के कार्य करने वाले कर्मचारियों को समान पारिश्रमिक का भुगतान किया जाए। यह भुगतान उनके लिंग या नृजातीयता के आधार पर भेदभाव के बिना किया जाना चाहिए।

भारत में लैंगिक आधार पर वेतन में अंतरः

  • वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक 2022 में भारत कुल 146 देशों में 135वें स्थान पर है।
  • विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में श्रम आय का 82 फीसदी हिस्सा पुरुषों को प्राप्त होता है। इसके विपरीत, महिलाओं को केवल 18 फीसदी ही प्राप्त होता है।

वेतन में अंतर के कारण

  • नेतृत्व में प्रतिनिधित्व कम होनाः विशेष रूप से उच्च स्तर पर प्रबंधन और नेतृत्व में महिलाओं की संख्या कम है।
  • कार्यबल से बाहर होनाः महिलाओं में बच्चों की परवरिश या वृद्धों की देखभाल के लिए करियर ब्रेक लेने की संभावना अधिक होती है।
  • कुछ कार्यों को केवल महिलाओं से ही जोड़कर देखनाः लैंगिक रूढ़िवादिता की वजह से कुछ प्रकार के रोजगार को मुख्य रूप से केवल महिलाओं का काम समझा जाता है। इस कारण इन महिलाओं के कार्यों को वेतन निर्धारण के दौरान कमतर आंका जाता है।
  • शिक्षा प्राप्ति में भेदभावः कभी-कभी लड़कियों को स्कूली शिक्षा से बाहर रखा जाता है या उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।

लैंगिक आधार पर वेतन में भेदभाव को दूर करने के प्रयास

  • संविधान के अनुच्छेद- 39(घ) में यह प्रावधान किया गया है कि पुरुषों एवं स्त्रियों का समान कार्य के लिए समान वेतन हो।
  • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, समान पारिश्रमिक अधिनियम- 1976 और मजदूरी संहिता- 2019 जैसे कानून बनाए गए हैं।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ने लैंगिक आधार पर मौजूद मजदूरी संबंधी भेदभाव को कम करने में मदद की है।
  • मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 ने 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में काम करने वाली सभी महिलाओं के लिए ‘वेतन सुरक्षा के साथ मातृत्व अवकाश’ की अवधि बढ़ा दी है।
  • वैश्विक स्तर पर: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का समान पारिश्रमिक अभिसमय (Equal Remuneration Convention) और ILO के नेतृत्व में समान वेतन अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन का गठन आदि प्रमुख पहले शुरू की गई हैं।

स्रोत – द हिन्दू

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