खारची पूजा महोत्सव
हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने खारची पूजा (Kharchi Puja) के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं।
खारची पूजा उत्सव पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में मनाया जाता है। इसे ’14 देवताओं का त्योहार’ भी कहा जाता है। यह त्यौहार हर साल जुलाई या अगस्त में अमावस्या के आठवें दिन मनाई जाती है।
इस साल यह शुभ त्योहार 26 जून से शुरू हुआ। यह त्योहार त्रिपुरा के लोगों के पूर्वज देवता चतुर्दश देवता के अनुष्ठान पर केंद्रित है। यह अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है और समुदाय के समृद्ध इतिहास और परंपराओं को प्रदर्शित करता है।
‘खारची’ शब्द दो त्रिपुरी शब्दों से बना है – ‘खार’ या खरता जिसका अर्थ है पाप, और ‘ची’ या सी जिसका अर्थ है ‘सफाई’ । त्योहार के दौरान, त्रिपुरा के लोग अपने 14 देवताओं के साथ-साथ पृथ्वी की भी पूजा करते हैं।
हालाँकि यह त्यौहार आदिवासी मूल का है, लेकिन यह त्रिपुरा के आदिवासी और गैर-आदिवासी, दोनों समुदायों द्वारा मनाया जाता है। पूजा के दिन, चैंटई के सदस्यों द्वारा चौदह देवताओं को सैदरा नदी पर ले जाया जाता है। देवताओं को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और वापस मंदिर में लाया जाता है। पशु बलि भी इस त्यौहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सैदरा नदी/ हाओरा नदी
- 53 किमी लंबी नदी मध्य त्रिपुरा में बोरोमुरा पहाड़ियों से निकलती है। यह बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले पश्चिम की ओर चंपकनगर, जिरानिया, खुमुलवंग, खयेरपुर और राजधानी अगरतला शहरों से होकर बहती है।
- कोकबोरोक भाषी आदिवासी लोग इसे स्थानीय तौर पर सैदरा नदी (Saidra River) के नाम से जानते हैं।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस